SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४१६ Jain Education International पृष्ठ वर्ष १९ अंक १२ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक श्री जयभिक्खू के ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद श्री कस्तूरमल बांठिया श्रीमद्देवचन्द्ररचित कर्म साहित्य श्री अगरचन्द नाहटा श्रीपालचरित की कथा डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन षट्दर्शनसमुच्चय के लघुटीकाकार सोमतिलकसूरि श्री अगरचंद नाहटा षट्प्राभृत के रचनाकार और उसका रचनाकाल डॉ० के० आर० चन्द्र संडेरगच्छीय ईश्वरसूरि की प्राप्त एवं अप्राप्त-रचनायें श्री अगरचन्द नाहटा संदेशरासक में उल्लिखित (वनस्पतियों के नाम) पर्यावरण के तत्त्व श्री श्रीरंजन सूरिदेव ई० सन् १९६८ १९६५ १९७१ १९७२ १९९७ १९७४ २५-३४ ३३-३७ ३-७ २०-२३ ४५-५२ २९-३२ ~ 29 ०-१२ ७ For Private & Personal Use Only १०-१२ संवेगरंगशाला-एक स्पष्टीकरण प्रो० हीरालाल रसिकलाल कापड़िया संयुक्तनिकाय में जैन सन्दर्भ विजयकुमार जैन संवेगरंगशाला देवभद्रसूरि रचित और अनुपलब्ध है ? श्री अगरचन्द नाहटा संवेगरंगशाला नामक दो ग्रन्थ नहीं एक ही है संस्कृत काव्य शास्त्र के विकास में प्राकृत की भूमिका श्री धनीराम अवस्थी संस्कृत दूत काव्यों के निर्माण में जैन कवियों का योगदान श्री रविशंकर मिश्र संस्कृत व्याकरण शास्त्र में जैनाचार्यों का योगदान श्रीराम यादव संस्कृत साहित्य के इतिहास के जैन संम्बन्धित संशोधन श्री अगरचन्द नाहटा MMMrr wr १९७६ १९९५ १९६९ १९८१ १९६९ १९६९ १९८६ २७-२९ २४-२७ ३२ १६-२३ २३-२६ ३४ २-९ www.jainelibrary.org १९८२ १९८२ १-१५ ११-२० २२-२६
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy