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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org लेख शब्दरत्न- महोदधि नामक संस्कृत गुजराती जैन कोश शम्बूक आख्यान (जैन तथा जैनेतर) सामग्री का तुलनात्मक अध्ययन शान्त रस : मान्यता और स्थान शान्त रस : जैन काव्यों का प्रमुख रस शास्त्र की मर्यादा शास्त्र रचना का उद्देश्य शास्त्र वाचना की आज फिर आवश्यकता शास्त्रों की प्रामाणिकता शिवशर्मसूरिकृत कर्मप्रकृति श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा का स्वरूप श्रमण भगवान् महावीर श्रमण-साहित्य में वर्णित विविध सम्प्रदाय श्रावकप्रज्ञप्ति के रचयिता कौन ? श्री आत्मारामजी और हिन्दी भाषा श्री किशनदास जी कृत - 'उपदेशबावनी' - श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचन्द नाहटा श्री विमलचन्द्र शुक्ल श्री जयकुमार जैन डॉ० मंगलप्रकाश मेहता पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य पं० सुखलाल जी श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० मोहनलाल मेहता "" डॉ० सागरमल जैन पं० बेचरदास दोशी डॉ० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' पं० बालचन्द्र शास्त्री श्री पृथ्वीराज जैन श्री अम्बाशंकर नागर वर्ष २८ m m ३२ २९ ३६ ५ २१ १५ ३२ ३६ २३ २६ १६ w ov ५ ११ अंक १२ ४ २ १२ १२ ११ ८ ७ १० ११ ई० सन् १९७७ १९८० १९७८ १९८४ १९५२ १९५३ १९५७ १९७० १९६४ १९८१ १९८५ १९७२ १९७५ १९६५ १९५४ १९६० ४१५ पृष्ठ २२-२४ ४६-५१ ८-१२ १-३ २५-२९ २४ ४-७ ३८-४० ७-१५ ७-११ २-६ ३-९ ३-१३ ३-७ ११-१५ २८-३२
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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