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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ४०८ लेख प्राचीन जैन राजस्थानी गद्य साहित्य प्राचीन जैन साहित्य के प्रारम्भिक निष्ठासूत्र प्राचीन पांडुलिपियों का संपादन : कुछ प्रश्न और हल प्राचीन भारतीय वाङ्मय में पार्श्वचरित प्राणप्रिय काव्य का रचनाकाल, श्लोक संख्या और सम्प्रदाय बंगला आदि भाषाओं के सम्बन्धवाची प्रत्यय ब्राह्मी लिपि और ऋषभनाथ बुन्देलखण्डी भाषा में प्राकृत के देशीशब्द बीसवीं शती का जैन इतिहास भक्तामर की एक और सचित्र प्रति भक्तामरस्त्रोत की सचित्रप्रतियाँ ? भक्तामरस्त्रोत के श्लोकों की संख्या ४४ या ४८ भगवान् महावीर की २५वीं निवार्णशती कैसे मनायें भगवान् महावीर की मंगल विरासत भट्टअकलंककृत लघीयस्त्रय: एक दार्शनिक अध्ययन भट्टारक सकलकीर्ति और उनकी सद्भाषितावली श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचंद नाहटा पं० दलसुखभाई मालवणिया डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० जयकुमार जैन श्री अगरचंद नाहटा पं० कपिलदेव गिरि डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० कोमलचंद जैन श्री अगरचन्द नाहटा "" " "" श्री नन्दलाल मारु पं० सुखलाल संघवी हेमन्तकुमार जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन वर्ष ७ ४० २९ ३२ ३३ २२ २७ २१ ५ २४ २२ २१ १९ ४० ४१ २५ अंक I 10 10 10 १० ११ ११ ७ १२ ७ ७ ४ १० १-२ ६ ७-९ १-२ ई० सन् १९५६ १९८९ १९७८ १९८० पृष्ठ ११-१८ ११-२० १९-२३ २९-४५ १९८२ २७-२९ १९७१ १८-२९ १९७५ २५-२८ १९७० २०-२३ १९५४ २०-२४ १९७३ २१-२४ १९७१ १३-१९ १९७० २७-३१ १९६७ ३२-३६ १९८९ १-८ १९९० ८३-९० १९७३ २९-३४
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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