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________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में बात है कि पूज्य आचार्यसम्राट की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से श्री नेमनाथ जी द्वारा पार्श्वनाथ विद्यापीठ की एक शाखा का इन्दौर में दिनाक १५ नवम्बर से शुभारम्भ हुआ राजकोट में आगमसूत्र का विमोचन सम्पन्न रायलपार्क, राजकोट ३० अगस्त: स्थानकवासी जैन उपाश्रय में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री केशुभाई पटेल के सानिध्य में जैनागम नवनीत प्रश्नोत्तर-आचारांगसूत्र पुष्प ३-४ की विमोचन विधि एवं गुजराती भाषा में विवेचन युक्त आगम की समर्पण विधि का कार्यक्रम ३० अगस्त को सम्पन्न हुआ। पुस्तक का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री जी ने मुनिराज श्री तिलोकमुनि जी का अभिवादन करते हुए आचार की आवश्यकता से अपना वक्तव्य प्रारम्भ किया जो धार्मिक विचारों के साथ करीब ४० मिनट तक चला। "जैन परम्परा में तीर्थंकरों की अवधारणा' विषयक संगोष्ठी सम्पन्न उदयपुर १९-२० सितम्बर : समताविभूति आचार्य श्री नानेश एवं युवाचार्य श्री रामेश के सानिध्य तथा आगम, अहिंसा, समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर के सहयोग से श्री नवचेतना समता युवा मंच द्वारा विगत १९-२० सितम्बर को जैन परम्परा में तीर्थंकरों की अवधारणा विषय पर द्विदिवसीय विद्वत् संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के संयोजक और आगम, अहिंसा, समता एवं प्राकृत संस्थान के प्रभारी डॉ० सरेश सिसोदिया ने विषय प्रवर्तन किया। संगोष्ठी के प्रथम सत्र में पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रवक्ता, युवा विद्वान् डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने तीर्थंकर अरिष्टनेमि पर अपना महत्त्वपूर्ण शोधनिबन्ध प्रस्तुत किया। इस सत्र में डॉ० उदयचन्द जैन एवं डॉ० मंजू सिरोया ने भी अपने शोधपत्रों का वाचन किया। संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में डॉ० धर्मचन्द जैन; डॉ० जगतराम भट्टाचार्य और डॉ० प्रेमसुमन जैन ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये। २० सितम्बर को संगोष्ठी के तृतीय सत्र में डॉ० सुरेश सिसोदिया और डॉ० आर० एम० लोढ़ा ने अपने शोध पत्र पढ़े। संगोष्ठी के अंतिम सत्र में उसी दिन डॉ० हकमचन्द जैन, डॉ० जीतेन्द्र बी० शाह, श्री कमल भूरा और डॉ० देव कोठारी के शोधपत्र प्रस्तुत हुए। संगोष्ठी के समापन समारोह में अखिल भारतीय साधुमार्गी जैनसंघ, बीकानेर के पदाधिकारी गण भी बड़ी संख्या में पधारे। समारोह के मुख्यअतिथि श्री सागरमल जी चपलोत ने सभी विद्वानों को श्री नवचेतना समता युवा मंच की ओर से स्मृतिचिन्ह भेंट किया। संगोष्ठी के सभी सत्रों का सकुशल संयोजन एवं संचालन डॉ० सरेश सिसोदिया ने किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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