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________________ १० श्रमण : अतीत के झरोखे में प्रकाश डाला। ८ अगस्त को उन्होंने रक्षाबंधन के पावनपर्व के अवसर पर उसके महत्त्व की विवेचना की । दिनांक ९ अगस्त को मासखमण करने वाले ११ तपस्वियों का सम्मान किया गया। १४ अगस्त को जन्माष्टमी के शुभपर्व पर आचार्य श्री ने कर्मयोगी श्रीकृष्ण के जीवन और व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। १५ अगस्त को स्वाधीनता दिवस के अवसर पर उन्होंने राष्ट्र के नाम संदेश दिया । १७ अगस्त को उनके द्वारा प्रतिभाशाली बालक-बालिकाओं का सम्मान किया गया। १९ अगस्त से २६ अगस्त तक पर्यषण पर्व के अवसर पर प्रतिदिन अपने आध्यात्मिक प्रवचनमाला के अन्तर्गत आचार्यश्री ने दान, दीक्षा, नारी जीवन की महत्ता, संवत्सरीमहापर्व आदि महत्त्वपूर्ण विषयों की सविस्तार चर्चा की। दिनांक ३१ अगस्त को सामूहिक क्षमापना का आयोजन किया गया जिसमें तेरापंथी समुदाय की महासती श्री कनकरेखा जी, कई मंदिरमार्गी संत तथा गुजराती समाज की महासती श्री भारती बाई व गौतम मुनि आदि के प्रवचन हुए। दिनांक ३ सितम्बर को श्रमण संघ के प्रथम पट्टधर आचार्यसम्राट आत्माराम जी महाराज की जयन्ती सोल्लास मनायी गयी। ५ सितम्बर को एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गयी जिसमें महासती स्व० श्री सोहनकुंवर जी और स्व० रूपेन्द्र मुनि जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। इसी दिन आचार्य श्रीजयमल की भी जयन्ती मनायी गयी। दिनांक २८ सितम्बर से ४ अक्टूबर तक उपाध्याय पुष्कर मुनि जी महाराज की जयन्ती मनायी गयी। जयन्ती कार्यक्रम के अंतिम दिन ४ अक्टूबर को मुख्य आयोजन रहा जिसमें राजस्थान सरकार के शिक्षामंत्री श्री गुलाबचन्द्र कटारिया ने प्रमुख अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर श्वे० स्थानकवासी जैन कान्फ्रेन्स के अध्यक्ष श्री हस्तीमल मुणोत, महामंत्री श्री माणकचंद जी कोठारी, समाजरत्न श्री हीरालाल जैन तथा समाज के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में देश के विभिन्न भागों से पधारे भक्तजन उपस्थित थे। सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री नेमनाथ जैन ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत किया और आचार्यश्री के सानिध्य में पौष्टिक आहार (गर्भवती गरीब महिलाओं हेतु) वितरण, रोगमुक्ति, व्यसन मुक्ति एवं ज्ञान-ध्यान की अपनी योजनाओं का शुभारम्भ किया जिसकी सभी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। आचार्यश्री देवेन्द्रमुनि जी महाराज का जन्मदिवस होने से धनतेरस के दिन विभिन्न वक्ताओं ने आचार्यश्री के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। दीपावली के पावन पर्व पर अपने उद्बोधन में आचार्यश्री ने लौकिक दीपावली के साथ-साथ आध्यात्मिक दीपावली मनाने का आग्रह किया। इन्दौरवासियों के लिए यह अत्यन्त सौभाग्य की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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