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________________ ८७ Jain Education International श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री उदयचन्द जैन श्री चम्पालाल सिंघई ur ur वर्ष अंक २३६ २३ ६ ई० सन् पृष्ठ १९७२ . १०-१७ १९७२ १८-२० ur w 9 श्री बलवन्द सिंह मेहता श्री गणेश प्रसाद जैन डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० कोमलचन्द जैन श्री प्यारेलाल श्रीमाल ७ For Private & Personal Use Only लेख वासुपूज्यचरित-एक अध्ययन गुप्त सम्राटों का धर्म समभाव परम्परागत पावा ही भगवान् महावीर की निर्वाण भूमि बनारसीदास का रसदर्शन अन्तरायकर्म का कार्य श्रमण संस्कृति और नारी जैनपदों में रागों का प्रयोग जैनग्रन्थों और पुराणों के भौगोलिक वर्णन का तुलनात्मक अध्ययन प्रसाद और तीर्थंकर पद्मचरित और हरिवंशपुराण जैनधर्म : वैदिक धर्म के संदर्भ में कुवलयमालाकहा में उल्लिखित कडंग, चन्द्र और तार द्वीप सात लाख श्लोक परिमित संस्कृत साहित्य के निर्माता जैनाचार्य विजयलावण्यसूरि २१-३० ३१-४१ ३-५ ६-१० २३६ २३ २३७ २३ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ 9 9 ७ श्री अगरचन्द नाहटा डॉ. देवेन्द्र कमार जैन श्री रमेशचन्द जैन श्रीरंजन सूरिदेव २३ २३ २३८ ७ ७ 9 9 vv १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १५-२० २१-२४ ३-७ ८-१२ v श्री प्रेमसुमन जैन २३८ १९७२ १३-१८ www.jainelibrary.org श्री अगरचन्द नाहटा २३ ८ १९७२ १९-२३
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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