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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ८६ लेख मूलाराधना में समाधिमरण अपभ्रंश चरितकाव्य तथा कथाकाव्य प्रमेय : एक अनुचिंतन भ० नेमिनाथ का समय - एक विचारणीय समस्या जैनों में सती प्रथा जैन दर्शन में कर्मवाद की अवधारणा उज्जयिनी और जैनधर्म निक्षेप में नय योजना जैन मूर्तियों का क्रमिक विकास Nature and Role of Devotion in Jaina Sadana दासुपूज्यचरितम् - एक अध्ययन पावापुर लेश्या - एक विश्लेषण जैन तीर्थंकर और भिल्ल प्रजाति जैनधर्म में भक्ति का स्थान जैनधर्म भौगोलिक सीमा में आबद्ध क्यों ? श्रमण संस्कृति में मोक्ष की अवधारणा श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री उदयचन्द्र जैन डॉ० देवेन्द्र कुमार श्री रंजन सूरिदेव श्री अगरचन्द नाहटा श्री चम्पालाल सिंघई कु० प्रमिला पाण्डेय तेजसिंह गौड श्री उदयचन्द जैन श्री प्रेमकुमार अग्रवाल Shri I.B. Pandey श्री उदयचन्द जैन 'प्रभाकर' श्री जिनवर प्रसाद जैन कु० सुशीला सिंह डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन कु० प्रमिला पाण्डेय श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री प्रेमकुमार अग्रवाल २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ अक m m m ४ ४ ४ ४ ई० सन् १९७१ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ पृष्ठ २१-३० ३-१० ११-१४ १५-१९ २०-२१ २२-२७ ३-१२ १३-१७ १८-२१ २२-२८ ३-१० ११-१९ २०-२४ २५-२७ २८-३३ ३४-३८ ३-९
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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