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लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० के० एच० त्रिवेदी
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अंक
Jain Education International
ई० सन् १९७२
पृष्ठ २४-२८
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जैनधर्म : एक अवलोकन अपभ्रंश का विकासक्रम तथा जैन साहित्यकारों की देन कर्मयोगी कृष्ण के आगामी भव वेदोत्तरकालीन आत्मविद्या और जैनधर्म प्राणप्रिय काव्य के रचयिता व रचनाकाल गर्भापहरण- एक समस्या भगवान् महावीर के निर्वाण का २५००वां वर्ष श्रमण और वैदिक साहित्य में स्वर्ग और नरक ग्वालियर के तोमरकालीन दानवीर कल्चुरीकालीन भ० शांतिनाथ की प्रतिमाएँ श्रमण संस्कृति की मूल संवेदना जैनदर्शन में स्याद्ववाद और उसका महत्त्व अनासक्ति गर्भापहरण सम्बन्धी कुछ बातें Jaina Temples in Karanataka श्रमण भगवान् महावीर पद्मचरित की भाषा और शैली
श्रीमती मीना भारती श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री डॉ० अजित शुकदेव श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० रतिलाल म० शाह डॉ० गोपीचन्द धाड़ीवाल श्री धन्यकुमार जैन श्री चम्पालाल सिंघई श्री शिवकुमार नामदेव डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन श्री रामजी डॉ० अजित शुकदेव श्री अगरचन्द नाहटा Dr. K. B. Shastri पं० बेचरदास दोशी श्री रमेशचन्द्र जैन
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