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________________ २१ लेख R Jain Education International کی سید ८ بن کی سی که که For Private & Personal Use Only सच्चा वैभव सामुद्रिक विज्ञान भारतीय संस्कृति का दृष्टिकोण आत्म निरीक्षण मिथिलापति नमिराज ग रविन्द्रनाथ के शिक्षा सिद्धान्त और विश्वभारती हमारी भक्ति निष्ठा कैसी हो ? चूर्णियां और चूर्णीकार सुदर्शन धर्मपुरुष और कर्मपुरुष सच्चरित्रता क्या है ? हैं चलिए और खूब चलिए लेखक और विश्वशान्ति दिवाभोजन ही क्यों ? अपने व्यक्तित्व की परख कीजिए है आधुनिक पुस्तकालय (क्रमश:) प्रतिक्रमण पर्युषणपर्व की आराधना श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री एस० कान्त श्री विजयराज ६ डॉ० मंगलदेव शास्त्री ६ सुश्री शरबती देवी जैन श्री सुशील ६ श्री शिवनाथ ६ श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता गोकुलचन्द शास्त्री 'प्रवासी' ६ पं० फूलचन्द्रजी 'श्रमण' ६ महासती श्री सरलादेवी जी महाराज ६ वैद्यराज पं० सुन्दरलाल जैन ६ डॉ० एस० राधाकृष्णन् ६ डॉ० महेशदान सिंह चौहान श्री जे० एन० भारती, श्री महेन्द्र 'राजा' ६ स्वामी सत्यभक्त जी६ पं० मुनि श्री फूलचन्द्रजी 'श्रमण' ६ , v varar 2222222224 ई० सन् १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ पृष्ठ । . १९-३५ ३८-४० ३-१६ २०-२३ २६-३४ ३-७ ८-९ १०-१४ १५-१८ २१-२२ २५-२६ २७-२९ ३०-३२ ३३-३४ ३५-३६ ३७-४० ३-१२ १४-१६ rur w uru www.jainelibrary.org
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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