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________________ लेख Jain Education International मानव ५ ک ک ٹ For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक सुश्री पुष्पा धारीवाल श्री विजयराज सुश्री निर्मला प्रीतिप्रेम श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० वासूदेवशरण अग्रवाल पं० रत्न श्री ज्ञानमुनिजी पं० दुलसुख मालवणिया श्री सूरजचंद ‘सत्यप्रेमी' श्री रघुवीरशरण दिवाकर श्री धर्मचन्द्र ‘मुखर' डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी श्री महावीर प्रसाद प्रेमी श्री मदनलाल जैन मुनि सुरेशचन्द्र शास्त्री प्रो० देवेन्द्र कुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा दादा धर्माधिकारी प्रो० वेंकटाचलम सामुद्रिक विज्ञान (क्रमश:) के बर्मा में होली का त्यौहार प्रत्यालोचना-महावीर का अन्तस्सल अहिंसा की युगवाणी भगवान् महावीर और उनका शान्ति संदेश भगवान् महावीर का मार्ग वर्धमान और हनुमान महावीर का संदेश भगवान् महावीर-जीवन और सिद्धान्त भगवान् महावीर का व्यक्तित्त्व सन्मति महावीर और सर्वोदय अहिंसा महावीर के ये उत्तराधिकारी ! भगवान् महावीर की जीवन साधना राजस्थानी जैन साहित्य स्त्री का स्वभाव विश्व कलेण्डर क्यों नहीं अपनाया जाय ? ६-७ Purur ur aur rur ur ur ur ur rur w uru urur अंक ई० सन् १९५५ ६ ५ १९५५ । १९६५ ५ १९५५ ६ ६-७ १९५५ १९५५ ६-७ १९५५ १९५५ ६-७ १९५५ ६-७ १९५५ ६-७ १९५५ ६-७ १९५५ ६-७ १९५५ ६ ६-७ १९५५ ६ ६-७ १९५५ ६ ८ १९५५ ६८ १९५५ ६ ८ १९५५ पृष्ठ २४-२६ २७-२९ ३०.३२ ३३-३६ ३-४ ५-१७ २०-२२ २३ २४-३४ ३६-४० ४१-४६ ५१-५३ ५५-५६ ५७-६० ६२-६४ ४-९ ११-१३ १४-१८ www.jainelibrary.org
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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