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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
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राजस्थान में महावीर के दो उपसर्ग स्थल राजस्थान में महावीर मंदिर राजस्थानी जैन साहित्य
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राजस्थानी लोक-कथाओं सम्बन्धी साहित्य-निर्माण में जैनों का योगदान रामसनेही सम्प्रदाय के रेणशाखा के दो सरावगी आचार्य लंदन में कतिपय अप्राप्य जैन ग्रन्थ लिखाई का सस्तापन लोंकागच्छीय विद्वानों के तीन संस्कृत ग्रन्थ लोक साहित्य के आदिसर्जक-जैन विद्वान् " वडगच्छ के युगप्रधान दादा-मुनिशेखरसूरि
वसुमतीमहाकाव्य वाचक श्रीवल्लभ रचित 'विदग्धमुखमण्डन' की दर्पण टीका की पूरी प्रति अन्वेषणीय है । विक्रमलीलावतीचौपाईविषयक विशेष ज्ञातव्य विद्वद्वर विनयसागर आद्यपक्षीय नहीं, पिप्पलक शाखा के थे विनयप्रभकृत जैन व्याकरण ग्रंथ शब्ददीपिका विलासकीर्तिरचित प्रक्रियासारकौमुदी
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ई० सन् १९७५ १९७६ १९५५ १९५५ १९५९ १९७८ १९५१ १९५८ १९६० १९५५ १९७३ १९६१ १९९६ १९७५ १९५६ १९७८ १९७८
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२६-२८ १५-२२ ४-६ २९-३१ १२-१६ २७-२९ ३-५ २४-२८ ९-१२ ३६-३९ १७-२० ७४-७५ २२-२३ १७-१८ १७-२१ २४-२८
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