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________________ १३२ Jain Education International वर्ष ३५ ३५ अंक १ २ पृष्ठ २५-२८ २-५ ८-१२ १३-२० ३५ ३५ ३५ ५-७ लेख वीरवर्धमानचरित में शान्तरस विमर्श तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ अहिंसा की सार्थकता जैन आचार-पद्धति में अहिंसा कर्म का स्वरूप भगवान् बाहुबली के प्रति जैन धर्म दर्शन में अराधना का महत्त्व यशस्तिलकचम्पू और जैनधर्म सामायिक और ध्यान वसुराजा सद्विचार हेतु मौलिक प्रक्रिया जैन संस्कृति में सत्य की अवधारणा ३५ For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्रीमती उर्मिला जैन श्री गणेशप्रसाद जैन श्री सौभाग्यमल जैन डॉ० राजदेव दुबे श्री रवीन्द्रनाथ मिश्र दिलीप सुराणा गुलाबचन्द जैन डॉ० (कु०) सत्यभामा डॉ० आदित्य प्रचण्डिया मुनि महेन्द्र कुमार सौभाग्य मुनि 'कुमुद डॉ० राजदेव दुबे एवं प्रमोद कुमार सिंह श्री मिश्रीलाल जैन श्री मिश्रीलाल जैन श्री मिश्रीलाल जैन श्री रविशंकर मिश्र <<< <all www n m ३५ ई० सन् १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ ८-१० ११-१४ १५-२८ ४-८ ३५ ३५ ३५ ३५ ३५ ४ ४ ४ १०-११ १२-१५ ३५ ५ s www.jainelibrary.org उत्तराध्ययनसूत्र समणसुत्तं समयसार श्रमण भगवान् महावीर के चारित्रिक अलंकरण ३५ ३५ ५ ६ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ २-२६ २७-४१ ४२-५९ १-२ m
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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