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९० श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९८ १३. कीर्तिकौमुदी, पृ०-६. १४. वृत्तरत्नाकर, पृ०-९२. १५. कीर्तिकौमुदी, पृ०-११. १६. वृत्तरत्नाकर, पृ०-६७. १७. कीर्तिकौमुदी, पृ०-१५. १८. वृत्तरत्नाकर, पृ०-६६. १९. कीर्तिकौमुदी, पृ०-१६. २०. वृत्तरत्नाकर, पृ०-७३. २१. कीर्तिकौमुदी, पृ०-१६. २२. वृत्तरत्नाकर, पृ०-९९. २३. कीर्तिकौमुदी, पृ०-१६. २४. वृत्तरत्नाकर, पृ०-१०२. २५. कीर्तिकौमुदी, पृ०-२५. २६. कविराज विश्वनाथ, साहित्य दर्पण, पाण्डुरङ्ग जावजी निर्णयसागर प्रेस, बम्बई
१९३६, पृ०-७७२. २७. वृत्तरत्नाकर, पृ०-८८. २८. कीर्तिकौमुदी, पृ०-२९. २९. वृत्तरत्नाकर, पृ०-७५. ३०. कीर्तिकौमुदी, पृ०-३३. ३१. साहित्यदर्पण, पाण्डुरङ्ग, पृ०-३७२-३७३.