SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२ श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९८ दावा किस ही का नहीं, बिन बिलाइति बड़ राज।। कबीर-ग्रन्थावली (मिश्र), सा० १३, पृ०- १५०. (९) दुल्लहाओ मुहादाई, मुहाजीवी वि दुल्लहा। मुहादाई, मुहाजीवी, दो वि गच्छंति सुग्गई।। -दशवकालिक ५/९. बैरागी बिरकत भला, गिरहीं चित्त उदार। दूहं चुका रीता पड़े ताकू वार न पार।। कबीर-ग्रन्थावली (मिश्र), सा ६, पृ०- १४६. (१०) सोही अज्जूयभूयस्स धम्मो सुध्दस्स चिट्ठइ। उत्तराध्ययन ३/९२. 'हरि न मिले बिन हिरदे सूधा' कबीर-ग्रन्थावली (मिश्र), पद ३७९, पृ०- ५०५ (११) जिम लाणु विलिज्जइ पाणियहँ तिम जइ चित्त विलिज्ज। समरसि हवइ जीवडा काइँ समाहि करिज्ज।। पाहुड दोहा, १७६, पृ० ५४. मन लागा उन्मन सौं, उनमन मनहिं बिलग्ग। लूंण बिलग्गा पाणियां,पांणि लूण बिलग्ग।। कबीर-ग्रन्थावली (मिश्र), साखी १६, पृ०- ४०. संदर्भ१. वेदोल्लिखित होने पर भी ऋषभदेव वेदपूर्व परम्परा के प्रतिनिधि हैं। रामधारी सिंह दिनकर, संस्कृति के चार अध्याय, राजपाल एण्ड सन्स, दिल्ली १९५६, पृ०- १४७. २. श्रमण, नवम्बर १९४९. पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी ३. भारतीय दर्शन, डॉ० राधाकृष्णन, भाग-१, पृ०-२३८. ४. दिनकर, संस्कृति के चार अध्याय, पृ०-१४७-४७. ५. कबीर-ग्रन्थावली, भगवतस्वरूप मिश्र, विनोद पुस्तक मंदिर, आगरा, १९६९, साखी- ६२. ६. कहु कबीर इहु राम कै अंसु। जस कागद पर मिटै न मंस।। -संत कबीर, राग गौंड, पद ५, पृ०-१६८.
SR No.525033
Book TitleSramana 1998 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Shivprasad, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy