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________________ श्रमण / जुलाई-सितम्बर/ १९९७ 1: ११८ शोक समाचार अणुव्रत अनुशास्ता गणाधिपति श्रीतुलसी का महाप्रयाण अणुव्रत आन्दोलन के प्रवर्तक, २०वीं शती के महान् धर्माचार्य एवं समाज सुधारक गणाधिपति श्री तुलसी का ८३ वर्ष की आयु में विगत २३ जून को गंगाशहर (राजस्थान) में आकस्मिक रूप से हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया । राष्ट्र के अहिंसक एवं नैतिक चरित्रनिर्माण के लिये आपने अणुव्रत आन्दोलन की जो आधारशिला रखी वह आज पूरे विश्व में नैतिक उत्थान का महान् आन्दोलन बन गया है । दहेज प्रथा, नारी उत्पीड़न, बालविवाह, मृत्युभोज जैसी सामाजिक कुरीतियों को दूर कर सार्वकालिक एवं सार्वदेशिक जीवन में मानवीय मूल्यों का व्यवहार कराना ही इस आन्दोलन का उद्देश्य है और इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिये ही आपने समण एवं समणीवर्ग को न केवल देश के कोने-कोने में बल्कि विदेशों में भी भेजा । जैन विद्या के व्यापक अध्ययन-अध्यापन, प्रचार-प्रसार हेतु लाडनूं में स्थापित जैन विश्व भारती, संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) आपके विद्या प्रेम का जीवन्त स्मारक है जहाँ जीवन विज्ञान एवं प्रेक्षाध्यान के रूप में सर्वथा नवीन विषय का अध्ययनअध्यापन भी हो सकता है । जैन धर्म का आज यही एक ऐसा सम्प्रदाय है जिसके सभी साधु-साध्वी एक ही आचार्य की आज्ञा में रहते हैं और ये सभी उच्चशिक्षा सम्पन्न हैं । इसका श्रेय गणाधिपति तुलसी जी को ही है । अपने जीवनकाल में ही अपने सुयोग्य शिष्य युवाचार्य महाप्रज्ञ जी को तेरापंथ आम्नाय का आचार्य घोषित कर आपने एक और अवस्मिरणीय परम्परा का सूत्रपात किया । गणाधिपति की पदवी जैन परम्परा में सर्वथा एक नवीन उपक्रम है जिसे तेरापंथ के वर्तमान आचार्य महाप्रज्ञ जी ने आपको प्रदान कर अपनी विनयांजलि प्रस्तुत की है । सचमुच तेरापंथ का यह व्यक्ति मात्र जैन सम्प्रदाय का ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में आधुनिक युग का एक आश्चर्यजनक व्यक्तित्व बन गया है। यह सूरज अस्त नहीं हुआ बल्कि अपने क्रान्तिकारी विचारों एवं प्रयोगों के लिये सदैव जनमानस के लिये श्रद्धादीप बनकर पूरे विश्व को आलोकित करता रहेगा । पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार गणाधिपति श्रीतुलसी को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525031
Book TitleSramana 1997 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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