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श्रमण)
आधुनिक विज्ञान, ध्यान एवं सामायिक
डॉ. पारसमल अग्रवाल*
१. प्रस्तावना
इस लेख में यह दर्शाया जा रहा है कि आज पश्चिम जगत् के वैज्ञानिकों ने ध्यान (Meditation) को अनेक भौतिक लाभों के जन्मदाता के रूप में स्वीकार कर लिया है। हजारों वर्षों से जैन संस्कृति में गृहस्थ के लिए भी प्रतिदिन सामायिक करने की परम्परा रही है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम ध्यान या सामायिक के महत्त्व को समझकर इसका लाभ लें। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु इस लेख में ध्यान के बारे में पश्चिम के वैज्ञानिकों एवं डॉक्टरों के अनुसन्धान से प्राप्त निष्कर्षों का वर्णन करने के उपरान्त सामायिक का विश्लेषण किया गया है। यह भी बताया गया है कि सामायिक ध्यान का एक विशिष्ट रूप है। सामायिक के विश्लेषण का उद्देश्य यह भी है कि हम सामायिक को एक रूढ़ि की तरह न करते हुए उसको समझकर करें ताकि उसका आध्यात्मिक एवं भौतिक लाभ तत्काल ही हमारे जीवन में दृष्टिगोचर हो सके। २. आधुनिक विज्ञान एवं ध्यान
अमरीका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय की एक वैज्ञानिक डॉ. पैट्रिशिया पैरिंगटन ने ध्यान मग्न अवस्था में कई व्यक्तियों पर कई प्रयोग इन वर्षों में किए। उनके निष्कर्ष उनके द्वारा लिखित पुस्तक 'फ्रीडम इन मेडिटेशन' में देखे जा सकते हैं। डॉ. पैरिंगटन ने सिद्ध किया कि ध्यान से ब्लडप्रेशर सामान्य होता है, कोलेस्टराल ठीक होता है, तनाव कम हो जाता है, हृदय रोगों की सम्भावना कम हो जाती है, याददाश्त बढ़ती है, डिप्रेशन के रोगी को भी लाभ होता है, इत्यादि.........इत्यादि।
अमरीका के ही उच्चकोटि के वैज्ञानिक डॉ. बेनसन ने भी इसी प्रकार के परिणाम उनके अनुसंधान कार्यों द्वारा प्राप्त की।
* कन्दकन्द ज्ञानपीठ. इन्दौर में १२-१३ मार्च १९९६ को आयोजित जैन विद्या संगोष्ठी में पठित लेख
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