SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रमण/जुलाई-सितम्बर/ १९९६ अमरीका के डॉ. राबर्ट एन्थनी ने इनकी पुस्तक 'टोटल सेल्फ कॉन्फिडेंस' में ध्यान के २४ भौतिक लाभ गिनाने के बाद यह बताया कि ये सब लाभ तो साइड इफेक्ट, यानी अनाज के उत्पादन के साथ घास के उत्पादन की तरह, हैं । मूल लाभ तो यह है कि आप ध्यान द्वारा आपकी आन्तरिक शक्ति के नजदीक आते हो। डॉ. एन्थनी ने जो २४ लाभ गिनाए उसमें तनाव व एलर्जी से मुक्ति, ड्रग एवं नशे की आदत से छुटकारा पाने में आसानी, अवस्थमा से राहत, ब्लडप्रेशर, कैंसर, कोलेस्टराल, हृदयरोग आदि में लाभ सम्मिलित है। 1: ३५ डॉ. आरनिश (अमरीका) ने उनकी पुस्तक 'रिवर्सिंग हार्ट डिज़ीज' में ध्यान का महत्त्व विस्तार से स्वीकार किया है। वे यह प्रचारित करते हैं कि हृदय रोग की बीमारी ध्यान से ठीक हो सकती है। अमरीका में बहु प्रशंसित प्रख्यात चिकित्सक डॉ. दीपक चोपड़ा ने उनकी पुस्तक 'परफेक्ट हेल्थ' में पृ. १२७ से १३० पर ध्यान को औषधि के रूप में वर्णन करते हुए प्रायोगिक आंकड़ों का विश्लेषण किया एवं कई तथ्यों का रहस्योद्घाटन किया । ४० वर्ष से अधिक उम्र के ध्यान करने वाले एवं ध्यान न करने वालों की तुलना करने पर उन्होंने यह पाया कि जो नियमित ध्यान करते हैं उन्हें अस्पताल जाने की औसत आवश्यकता लगभग एक-चौथाई (२६.३%) रह जाती है। इसी पुस्तक में डॉ. चोपड़ा ने ब्लडप्रेशर एवं कोलेस्टराल के आंकड़ों द्वारा भी यह बताया है कि ध्यान करने से कोलेस्टराल का स्तर गिरता है व रक्तचाप सामान्य होने लगता है। हृदय रोग के आंकड़े बताते हुए डॉ. चोपड़ा लिखते हैं कि अमरीका में हृदयरोग के कारण अस्पतालों में प्रवेश की औसत आवश्यकता ध्यान न करने वालों की तुलना में ध्यान करने वालों को बहुत कम, मात्र आठवां भाग (१२.७%) होती है। इसी प्रकार कैंसर के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता ध्यान न करने वालों की तुलना में लगभग आधी (४४.६%) होती है। डॉ. चोपड़ा लिखते हैं कि आज तक ध्यान के मुकाबले में ऐसी कोई रासायनिक औषधि नहीं बनी है जिससे हृदय रोग या कैंसर की इतनी अधिक रोकथाम हो जाये । १९८० से १९८५ के एक ही चिकित्सा बीमा कम्पनी के सभी उम्रों के ६ लाख सदस्यों के आंकड़ों के विश्लेषण से यह भी ज्ञात हुआ कि ध्यान न करने वालों की तुलना में ध्यान करने वालों को डॉक्टरी परामर्श की औसत आवश्यकता आधी रही । इस प्रकार के अनुसन्धान से प्रभावित होकर ही अमरीका के कई डॉक्टर कई बीमारियों के उपचार हेतु दवा के नुस्खे के साथ ध्यान का नुस्खा भी लिखने लगे हैं। ध्यान के नुस्खे के अन्तर्गत रोगी को ध्यान सिखाने वाले विशेषज्ञ के पास जाना होता है जो ध्यान सिखाने की फीस लगभग ६० डालर प्रतिघण्टा की दर से लेता है। अमरीका की कई चिकित्सा बीमा कम्पनियाँ ध्यान पर होने वाले रोगी के इस खर्चे को दवा पर होने वाले खर्चे के रूप में मानने लगी हैं व इसकी भरपाई करती हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525027
Book TitleSramana 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy