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________________ जैन जगत् : ८७ अध्यक्ष पद ग्रहण करने के पश्चात् श्री किशोरचन्द्र एम० वर्धन ने कहा, "मैं अपने पद के अनुरूप असाम्प्रदायिक दृष्टि से जैन समाज की सेवा, समन्वय-संगठन के सूत्र में संजोकर प्राणी मात्र के प्रति उदार दृष्टि, व्यापक चिन्तन एवं निःस्वार्थ भावना से करने का प्रयत्न करूंगा।" मुख्य अतिथि श्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, "आज देश में राष्टीय चरित्र का संकट है। मुझे खुशी है कि मैं जैन समाज के भिन्न-भिन्न वर्गों के इस संगठन के अधिवेशन में भाग लेकर विभिन्न ऋषियों-मुनियों एवं साध्वीजी महा० के आशीर्वाद का भागी बना। जैन समाज ने तपस्या और अहिंसा को प्रमुखता से माना है।" उपमुख्यमंत्री गोपीनाथ मुण्डे ने कहा कि “हमारी भाजपा शिवसेना सरकार ने अभी मुम्बई के ऐतिहासिक श्री शान्तिनाथ जैन मन्दिर के निर्माण की बाधा को अध्यादेश के माध्यम से दूरकर निर्माण कार्य हेतु मजबूती प्रदान की। हम मन्दिर निर्माण में विश्वास रखते हैं तोड़ने में नहीं। जैन भवन हेतु भी महाराष्ट्र सरकार से मण्डल को निःशुल्क जमीन दिलवाने का पूरा प्रयास करूंगा।" इस अवसर पर मण्डल के सर्वाधिक सदस्य बनाने वाले श्री के० सी० जैन, मुन्नालाल मालू एवं २११ उपवास करने वाले बन्धु का अभिनन्दन किया गया। जैनधर्म दिवाकर नरेन्द्र विजयजी महा० ने कहा, “समाज की एकता के लिए स्वच्छ मन से निःस्वार्थ प्रवृत्तिपूर्वक प्रयत्न करें।" सौ वर्ष के इतिहास में प्रथम बार समग्र जैन समाज द्वारा किसी आचार्य को राष्ट्र सन्त शिरोमणि पद से विभूषित किया गया है। स्वामी अखिलेश महा० (बिहार) ने वर्तमान समय में देश, समाज एवं धर्म में फैल रहे प्रदूषण के प्रति चिन्ता व्यक्त की। अधिवेशन को सफल बनाने में समाजसेवी विधायक राज के० पुरोहित, राजेन्द्र जैन, प्रशान्त झवेरी, मोतीलाल बाफना, रतलाम, सुनील जैन, पाठक, मुकादम, आदि मण्डल के पदाधिकारियों का सक्रिय सहयोग मिला। इस अवसर पर खुले अधिवेशन में सर्वानुमति से संवत्सरी एकीकरण और जैन एकता सम्बन्धी प्रस्ताव पास किया गया। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार शेखरचन्द्र जैन, अहमदाबाद एवं आभार प्रदर्शन मण्डल के मन्त्री श्री एस० पी० जैन ने किया। अर्हत् वचन पुरस्कार, वर्ष-७ (१९९५) विज्ञप्ति विगत वर्ष की भाँति वर्ष-७ (१९९५) में प्रकाशित अर्हत् वचन के ४ अंकों में प्रकाशित समस्त आलेखों के मूल्यांकन हेतु एक त्रिसदस्यीय निर्णायक मण्डल का गठन निम्रवत किया गया था - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525025
Book TitleSramana 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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