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________________ जैन जगत् : ८३ श्री ताराचंद जैन बख्शी अभिनन्दन समारोह सम्पन्न प्रख्यात समाजसेवी श्री ताराचन्द जैन बख्शी का उनके ७५ वर्ष पूर्ण होने पर विगत दिनों जयपुर में अमृत-महोत्सव एवं अभिनन्दन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने श्री बख्शी को माल्यार्पण किया, साथ ही उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके दीर्घायु होने की कामना की। समारोह की एक अन्य विशेषता यह थी कि इसमें शाकाहार-प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था। जैन दर्शन और कबीर मेरठ, १८ दिसम्बर, १९९५ : जैन स्थानक, जैन नगर मेरठ में परम विदुषी पूजनीया महासती डॉ. मंजुश्री जी म०, महासती अक्षयश्री 'आरना' आदि ठाणा ६ के सानिध्य में एवं एस० एस० जैन सभा, मेरठ के तत्वावधान में १८ दिसम्बर १९९५ के दिन, मेरठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० के० सी० पाण्डेय जी की अध्यक्षता में 'जैन दर्शन और कबीर' विषय पर एक विद्वत्-गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी के विषय का प्रतिपादन करते हुए डॉ० विष्णुशरण 'इन्दु' ने कहा कि कबीर का रूढ़िवाद एवं उनका मिथ्या मान्यताओं के प्रति विरोध का स्वर जैन दर्शन से मिलता है। नानक चन्द कॉलेज के डॉ० धन प्रकाश मिश्र ने श्रावक व श्रावकाचार के महत्त्व को बहुत ही विद्वत्तापूर्ण ढंग से प्रतिपादित किया। इसी कॉलेज के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ० रामेश्वर दयाल अग्रवाल ने भक्ति के स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान् की भक्ति के बिना भगवत्कृपा नहीं मिल सकती। भक्ति पर महावीर व कबीर ने बहुत बल दिया था। अपने अध्यक्षीय भाषण में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० के० सी० पाण्डेय ने घोषणा की कि इसी वर्ष से एम० ए० के पाठ्यक्रम में शाकाहार एवं पर्यावरण विषय का पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा तथा एम० ए० संस्कृत विभाग के प्रश्नपत्रों से जैन प्राकृत के जिस पाठ्यक्रम का समापन हो गया है, उसकी पुनः स्थापना के प्रस्ताव पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। इस गोष्ठी में अनेक विद्वानों, बुद्धजीवियों पत्रकारों सहित बड़ी संख्या में महिलाएं भी उपस्थित थीं। अक्षय तृतीया की पारणा दिल्ली में , जैनधर्म दिवाकर आचार्य सम्राट १००८ श्री देवेन्द्र मुनि जी महाराज आदि संत पानीपत हरियाणा का ऐतिहासिक चातुर्मास सम्पन्न कर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों को पावन कर रहे हैं। २४ जनवरी ९६ को भिवानी (हरियाणा) में ४ वैरागन बहनों को आचार्य सम्राट ने दीक्षा प्रदान की। वर्तमान में आचार्य सम्राट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525025
Book TitleSramana 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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