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________________ ८२ : श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९६ निःशुल्क वितरण किया गया। इसी समय संस्थान एवं समता युवा संघ के सौजन्य से ५०० व्यक्तियों को वस्त्र वितरित किये गये। शिविर में उदयपुर एवं दरोली के गणमान्य व्यक्तियों, समता युवा संघ के सदस्यों के साथ चिकित्सकों में सर्वश्री डॉ० बी० भण्डारी, डॉ० बी० एल० असावा, डॉ० बी० आर० चौधरी, डॉ० ए० एस० धाकड़, डॉ. विनित सिंघल, डॉ. विमला धाकड़, कमाण्डर श्री हिम्मत सिंह जी मेहता एवं यशोदा सोलंकी उपस्थित थे। समारोह के प्रारम्भ में संस्थान के अध्यक्ष श्री कनक मेहता ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत किया। मंत्री श्री दिनेश कंठालिया ने संस्थान का परिचय एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आचार्य नानेश के सुशिष्य पं० रत्न श्री शान्तिमुनि जी म. सा. के उदयपुर वर्षावास के प्रवचनों से प्रेरित होकर हमने इस गांस्थान का शुभारम्भ किया है। हम सब सम्प्रदायवाद से ऊपर उठकर मानव सेवा एवं मह वीर वाणी का प्रचार प्रसार कर सकें, यही भावना इसमें निहित है। . समारोह का संचालन संस्थान के उपाध्यक्ष श्रीसवाई लाल जी बया ने किया । -सुभाष कोठार जैन इण्टरनेशनल द्वारा आयोजित छठाँ विश्व जैन सम्मेलन सम्पन्न ___ अहिंसा इण्टरनेशनल, नई दिल्ली द्वारा आयोजित छठौं विश्व जैन सम्मेलन दिनांक २४ दिसम्बर १९९५ से २६ दिसम्बर १९९५ के बीच फिक्की प्रेक्षागृह, बारह खम्भा रोड, नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में देश-विदेश के अनेक विद्वानों एवं महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों ने भाग लिया। सम्पूर्ण सम्मेलन पाँच सत्रों में सम्पन्न हुआ। 'इक्कीसवीं सदी में जैन' नामक प्रथम सत्र की सत्राध्यक्षा थीं, अन्तर्राष्ट्रीय जैन विद्या अध्ययन केन्द्र, गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद की निदेशक प्रो० मधु सेन। धर्म, अहिंसा, शान्ति और साहित्य नामक द्वितीय सत्र के सत्राध्यक्ष रहे - जैन धर्म दर्शन के बहुश्रुत विद्वान् प्रो० सागरमल जैन, निदेशक, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी। प्रो० जैन की अध्यक्षता में डॉ. प्रेमसुमन जैन, डॉ० भागचन्द जैन, डॉ. गोपीलाल अमर आदि विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये। 'परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में स्त्रियों के अवदान' नामक तृतीय सत्र की सत्राध्यक्षा थीं - श्रीमती विद्याबेन शाह, अध्यक्षा – केन्द्रीय समाज कल्याण परिषद। पोषण । शाकाहार, वातावरण और प्रचारतन्त्र नामक चौथे सत्र की सत्राध्यक्षता श्री भरतभाई शाह; अहमदाबाद ने की। अन्तिम समापन समारोह के मुख्य अतिथि श्री मदनलाल खुराना थे। इस प्रकार यह सम्मेलन आयोजन एवं विषयवस्तु की दृष्टि से पूर्ण सफल रहा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525025
Book TitleSramana 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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