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________________ जैन जगत् : ८१ आयोजित सर्वधर्म सम्मेलन के तीसरे दिन विभिन्न धर्मों के मानने वाले विभिन्न वक्ताओं ने व्यक्त किये। 'जैन धर्म में सर्वधर्म समभाव : गाँधी दृष्टि' विषय पर बोलते हुए पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो० सागरमल जैन ने कहा कि आज हम धर्म के विषय में बहुत अधिक बातें करते हैं, परन्तु हमें उसके मूलतत्त्व के विषय में जानकारी बहुत कम है। जो आत्मा को परमात्मा से जोड़े, समता की भावना विकसित करे और सद्भावना की स्थापना करे, उसे ही धर्म कहा जा सकता है। महात्मा गाँधी ने इन्हीं तत्वों का अनुशीलन करते हुए सर्वधर्म समभाव का मंत्र दिया था। गाँधी जी ने अपना पूरा जीवन समता और मानवता के लिए अर्पित कर दिया था। डॉ० जैन ने कहा कि सम्यक् दर्शन, सम्यक दृष्टि और सम्यक् ज्ञान जैनधर्म के आधारभूत तत्त्व हैं। उन्होंने सलाह दी कि आज आवश्यकता है धर्म की समीक्षा विवेक से कर धर्म के मूल स्वरूप को समझने की। इसके अतिरिक्त ईसाई धर्म पर डॉ० टोटनो ने तथा हिन्दू धर्म पर अलीगढ़ विश्वविद्यालय के शोधछात्र मौलाना शमसी तेहरानी ने अपने विचार व्यक्त किये। प्रो० कमल चन्द्र सोगानी सम्मानित जयपुर, १८ नवम्बर, १९९५ : दर्शनशास्त्र के प्रसिद्ध विद्वान् डॉ० 'कमलचन्द सोगाणी को जयपुर नगर निगम द्वारा आयोजित जयपुर समारोह ९५ में श्रमण संस्कृति के क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय लोक सेवा के लिए दि० १८ नवम्बर ९५, को एक भव्य समारोह में सम्मानित किया गया। डॉ० सोगानी ने दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीर जी की प्रबन्धकारिणी कमेटी के सदस्य बनने के पश्चात् क्षेत्र कमेटी द्वारा संचालित जैनविद्या संस्थान तथा उसके अन्तर्गत अपभ्रंश साहित्य अकादमी की स्थापना कर श्रमण संस्कृति के क्षेत्र में लोक सेवा कार्यों को करना प्रारम्भ किया एवं आज भी उसके विकास में सतत रूप से सन्नद्ध हैं। मानव शान्ति शोध संस्थान का विशाल निःशुल्क चिकित्सा शिविर के साथ ही शुभारम्भ १० दिसम्बर, १९९५ को उदयपुर में मानव शान्ति शोध-संस्थान का विशाल निःशुल्क चिकित्सा शिविर के साथ ही उद्घाटन सम्पन्न हुआ। संस्थान एवं शिविर का उद्घाटन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ० बी० भण्डारी ने किया एवं समारोह की अध्यक्षता प्रमुख व्यवसायी एवं समाजसेवी श्री कन्हैयालाल जी मेहता की। अतिथियों ने संस्थान के शुभारम्भ को एक ऐतिहासिक एवं दूरदर्शी कदम मनाते हुए इसे बुलन्दियों की ऊंचाई पर देखने की शुभाकांक्षा व्यक्त की। . दरोली गाँव में उक्त शिविर में बाल रोग, स्त्री रोग, सामान्य चिकित्सा, टी० बी० आदि के ३६२ रोगियों को उपचार एवं २५०००.०० रुपए मूल्य की दवाओं का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525025
Book TitleSramana 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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