SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रमण पुस्तक समीक्षा पुस्तक : शब्द-शब्द विद्या का सागर, लेखक : दिगम्बर जैनाचार्य १०८ श्री विद्यासागरजी महाराज, मुद्रक : इण्डियन आर्ट प्रेस, नई दिल्ली, पृष्ठ : ४०३, आकार : डिमाई (हार्ड बाउण्ड), मूल्य : चिन्तन-मन। दिगम्बर जैनाचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की बुद्धि और मन जहाँ एक ओर तप और दार्शनिकता से ओत-प्रोत है, वहीं उनका हृदय एक सहज कवि-हृदय है। वे जब भी अवसर मिलता है अपने आध्यात्मिक विचारों और अनुभूतियों को काव्यात्मक अभिव्यक्ति प्रदान करते हैं। "शब्द-शब्द विद्या का सागर" में आचार्य श्री की पूर्व प्रकाशित तीन काव्य रचनाओं का संकलन किया गया है। ये हैं - 'नर्मदा के नरम कंकर', 'डूबो मत लगाओ डुबकी' और 'तोता क्यों रोता। पहली और तीसरी कृतियाँ अजमेर से क्रमशः वर्ष १९८० और १९८८ में सर्वप्रथम प्रकाशित हुई थीं और दूसरी कृति का प्रकाशन जबलपुर से १९८४ में हुआ था । अब ये तीनों कृतियाँ एक ही जिल्द में शब्द-शब्द विद्या का सागर में संगृहीत कर दी गई हैं और इसे आचार्य श्री की परम शिष्या दृढ़मति माता जी ने १९१५ में दिल्ली से मुद्रित कराया है। आचार्य श्री की सभी कविताएँ उनकी साधना और आध्यात्मिक अनुभूतियों को वाणी प्रदान करती हैं और उन्हें इसी रूप में ग्रहण भी किया जाना चाहिए। वे जहाँ एक ओर जीवन की गहनतम सच्चाइयों को चित्रित करती हैं, वहीं दूसरी ओर उनके दर्शन और विचारों को भी उद्घाटित करती हैं। आचार्य श्री एक तपस्वी हैं और एक प्रतिबद्ध तपस्वी के अतिरिक्त भला और कौन मन के विचलन को समझ सकता है ? इसीलिए तो वे कह पाते हैं कि 'मन को छोड़ो । बिना मतलब / उसे / मत मारो ... मन का शोषण / उल्टा तनाव उत्पन्न करता है किन्तु इसका यह तात्पर्य नहीं है कि शोषण की बजाय मन का अनावश्यक पोषण किया जाए। पोषण से तो प्रमाद होता है और उससे - बुझता है आत्मा का / शिवपथ सहायक ! अतः वे निर्देश देते हैं कि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525025
Book TitleSramana 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy