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________________ गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास घर्चा करती है वह परवर्ती ११ गुणश्रेणियों अथवा १४ गुणस्थानों की चर्चा क्यों नहीं करती है ? नियुक्तियों में उपलब्ध विषयवस्तु की दृष्टि से हमें यही मानना होगा कि वे लगभग ईस्वी सन् की दूसरी शताब्दी की रचना है। पुनः वीर नि० सं० ५८५ तक होने वाले निह्नवों का उल्लेख और वीर नि० सं० ६०९ में होने वाले बोटिक शिवभूति का अभाव यही सिद्ध करता है कि नियुक्तियाँ वीर नि० संवत् ६०९/ई० सन् १४२ के पूर्व लिखी गई हैं इस प्रकार वे ई० सन् की द्वितीय शताब्दी के पूर्वार्ध में लिखी गई हैं। यहाँ प्रश्न यह उठता है कि क्या इस काल में कोई भद्रबाहु हुए हैं ? हमने कल्पसूत्र की पट्टावली का अध्ययन करने पर यह पाया कि आर्य कृष्ण और आर्य शिवभूति, जिनके बीच सचेलता और अचेलता के प्रश्न को लेकर विवाद हुआ था और बोटिक संप्रदाय की उत्पत्ति हुई थी, के समकालिक एक आर्यभद्र हुए हैं । ये आर्य शिवभूति के शिष्य थे ---ये आर्य नक्षत्र एवं आर्य रक्षित से ज्येष्ठ थे और इनका काल ई० सन् की द्वितीय-तृतीय शताब्दी ही रहा है। अतः यह मानना होगा कि नियुक्तियाँ इन्हीं आर्य भद्र की रचनाएँ हैं और आगे चलकर नाम साम्य और भद्रबाहु की प्रसिद्धि के कारण उनकी रचनाएँ मानी जाने लगीं। जिस प्रकार प्रबन्धों के लेखकों ने प्राचीन भद्रबाहु और वराहमिहिर के भाई भद्रबाहु के कथानक मिला दिये हैं उसी प्रकार नियुक्तिकार आर्यभद्र से भद्रबाहु की एकरूपता कर ली गई। पुनः नियुक्ति साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा की अनुपस्थिति तत्त्वार्थ के समान दश गुणश्रेणियों का उल्लेख यही सिद्ध करता है कि वे तत्त्वार्थसूत्र की समकालिक अथवा उससे क्वचित् पूर्ववर्ती रचनाएँ १. थेरस्स णं अज्जफग्गुमित्तस्स गोयमसगुत्तस्स अज्जधणगिरी थेरे अंतेवासी वासिठ्ठसगुत्त थे रस्स णं अज्जघणगिरिरस वासिठ्ठसगुत्तस्स अज्जसिवभूईथेरे अंतेवासी कुच्छसगुत्ते । थेरस्स णं अज्जसिवभूइस्स कुच्छसगुत्तस्स अज्जभद्दे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते । थेरस्स णं अज्जभद्दस्स कासवगुत्तस्स अज्जनक्खत्ते थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते । --कल्पसूत्र प्रका• श्री हंस विजय जैन फ्री लायब्ररी लुणसावाडा, अहमदाबाद पृ० १९५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525010
Book TitleSramana 1992 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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