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________________ ऋषिभाषित का सामाजिक दर्शन ७१ रूप से कहा गया है कि तुम ब्राह्मण (मा हण अर्थात् हिंसा नहीं करने वाले) होकर भी युद्ध की शिक्षा क्यों ग्रहण करते हो ? रथ और धनुषधारी व्यक्ति ब्राह्मण नहीं हो सकता। इससे स्पष्ट रूप से यह फलित होता है कि ऋषिभाषित में भी गीता के समान ही अपने-अपने वर्ण के लिए निश्चित कर्म को करने की अवधारणा का समर्थन देखा जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने गुण और स्वभाव के आधार पर निर्धारित वर्ण का कर्म करे, यह बात ऋषिभाषितकार को मान्य रही है। __ इसप्रकार ऋषिभाषित कर्मणा आधार पर वर्णव्यवस्था को मान्य करते हुए भी न तो वर्गों में किसी वर्ण को श्रेष्ठ और किसी वर्ण के अधम होने का उल्लेख करता है और न इस बात का ही समर्थन करता है कि आध्यात्मिक और नैतिक विकास की यात्रा किसी एक वर्ण-विशेष का अधिकार है। उसके अनुसार आध्यात्मिक विकास का पथ सभी वर्गों के लिए समान रूप से खुला हुआ है, जो भी अपनी कषायों को क्षीण करेगा और विश्व के समस्त प्राणियों के प्रति दया या कारुण्य भाव का धारक होगा वह व्यक्ति चाहे ब्राह्मण हो, क्षत्रिय हो, वैश्य हो या शूद्र हो वह आत्म विशुद्धि को प्राप्त करेगा और विरत. पाप होकर निर्वाण का अधिकारी बनेगा। इस प्रकार ऋषिभाषित आध्यात्मिक विशुद्धि और निर्वाण को प्राप्त करने का अधिकार किसी वर्ण-विशेष के लिए सुरक्षित नहीं रखता है, अपितु यह मानता है कि जो भी व्यक्ति अध्यात्म की साधना करेगा वह निर्वाण का अधिकारी होगा । संक्षेप में ऋषिभाषित में वर्णव्यवस्था की अवधारणा मान्य है, किन्तु यह व्यवस्था जन्मना न होकर कर्मणा ही मानी गई है । वह यह मान्य करता है कि प्रत्येक वर्ण को अपना कार्य करना चाहिए, किन्तु इससे कोई ऊँच या नीच नहीं होता है। आध्यात्मिक साधना और निर्वाण प्राप्ति का अधिकार सभी को समान रूप से उपलब्ध है, उसमें यह भी माना गया है कि व्यक्ति ब्राह्मण जन्म से नहीं, अपने नैतिक १. इसिभाषियाइं, २६-४ २. देखें, जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, पूर्वोक्त पृ० १८१-१८२ ३. इसिभासियाई, २५-१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525009
Book TitleSramana 1992 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1992
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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