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________________ (८०) पाण्डव पुराण में पुरोहित को 'पुरोधः' कहा गया है वैसे तो पुरोहित धार्मिक सत्कार्य करने के लिये नियुक्त होते थे लेकिन राजा दुर्योधन के यहाँ एक ऐसे पुरोहित का उल्लेख भी आया है जो धन के लालच में आकर पाण्डवों के निवास लाक्षागृह को जलाने को तैयार हो जाता है। राजा युधिष्ठिर का धर्मोपदेश करने वाले पुरोहित के रूप में राजा विराट के यहाँ एक वर्ष तक (गुप्त रूप से) रहने का वर्णन भी आया है। सेनापति ____ राज्य के सप्ताङ्गों में सेनापति का स्थान भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। सेना की सफलता योग्य सेनापति के अधीन होती है। युद्ध-भूमि में वह सम्पूर्ण सेना का सञ्चालन करता है। अर्थशास्त्र के अनुसार सेनापति को सेना के चारों अङ्गों के प्रत्येक कार्य को जानना चाहिये। प्रत्येक प्रकार के युद्ध में सभी प्रकार के शस्त्र-शास्त्र के सञ्चालन का परिज्ञान भी उसे होना चाहिये। हाथी-घोड़े पर चढ़ना और रथ सञ्चालन करने में अत्यन्त प्रवीण होना चाहिये। चतुरङ्गी सेना के प्रत्येक कार्य का उसे परिज्ञान होना चाहिये, युद्ध में उसका कार्य अपनी सेना पर पूर्ण नियन्त्रण रखने के साथ ही साथ शत्रु की सेना को नियन्त्रित करना है। महाभारत में सेनापति में अनेक गुणों का होना आवश्यक माना गया है। शुक्रनीति में भी सेनापति के आवश्यक गुणों का वर्णन किया गया है। पाण्डव पुराण में सेनापति के मस्तक पर पट्ट बांधने का उल्लेख आया है। चक्रवर्ती जरासन्ध के द्वारा मधुराजा के मस्तक पर चर्मपट्ट बाँधने, दुर्योधन द्वारा अश्वत्थामा १. पाण्डव पुराण, १२।१३२-१३८ २. वही, १७।२४४ ३. अर्थशास्त्र अधिकार २. प्रकरण ४९-५०. अध्याय ३३, पृ० २३७ ४. महाभारत उद्योग पर्व १५।१९-२५ ५. शुक्रनीति, २.४२२ ६. पाण्डव पुराण, २०।३०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525005
Book TitleSramana 1991 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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