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श्रमण
-उत्सव लाल तिवारी 'सुमन' भारतीय संस्कृति का भूषण है वह श्रमण पारमार्थिक है जिसका तन-मन-और जीवन, तन-मन और जीवन है न्योछावर जगत-हित परहित निरत, नित चिन्तन करता सदय चित, माना जाता शुद्ध, बुद्ध, सिद्ध जग वन्दनीय रहता है, सन्तुष्ट जो श्रमण सदा आत्मी ॥१॥
शान्ति प्रिय सन्तुष्ठ मन धर्म-कर्म सम्पन्न बिना पड़े छल छद्म में, रहता सदा प्रसन्न रहता सदा प्रसन्न, दिखलाता सबको सुपथ भेद-भाव रहित कर चलवाता संसारि रथ अपनाता उस धर्म को मिटाय भव-भ्रान्ति
सब सत्कर्म सिखाय, जो अंशान्तिहर दे, शान्ति ॥ २॥ जो कर्म निरन्तर करे नैतिक नैमेत्तिक धर्माचरण निभाय, सामूहिक वैयक्तिक सामूहिक वैयक्तिक श्रद्धा, विश्वास बढ़ाय जग-जन-जीवन मध्य, उत्तम अभिलाष जगाय स्व-पर हित कर रख पाय वशमें निजमनको सार्थक कर दिखलाय-सुमन श्रमण जीवन को ।। ३॥
सब उसको दे साथ, उसके सब संकट कटे जीवन होवे मुक्त भयभ्रान्ति झंझट हटे भयभ्रान्ति झंझट हटे उसे कष्ट व्यापे नहीं कठिन उलझनकी जड़ काटे सफलता से वही उसे न कोई सताय, परहित श्रम अथक करे अपना श्रमण जन्म, वह यथार्थ सार्थक करे
२५/१ सुमन कुटीर भाऊ साहब वाली हवेली तिवारी मार्ग १ उज्जैन म०प्र० ४५६००६
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