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________________ ( ४७ ) ७-सुगन्धित पदार्थों का सेवन । ८–किसी भी प्रकार की माला को पहनना । ९-हवा के लिए पंखे पुढे आदि का उपयोग । १० -घी, तेल, गुड़, शक्कर आदि रात्रि में अपने पास रखना। ११--गृहस्थ के थाली, कटोरी आदि में भोजन करना । १२--राजा के लिए बना हुआ आहार लेना। १३ –दान शालाओं में जाकर आहार लेना। १४--बिना कारण तेल मर्दन करना। १५ -दन्त मंजन करना, राख या मिस्सी रगड़ना । १६-गृहस्थ से कुशल-क्षेम पूछना । १७ - कांच, पानी या तेल में मुँह देखना । १८-जुआ खेलना। १९-चौपड़, शतरंज आदि खेलना। २० .-सिर पर छतरी या छत्र धारण करना । २१--बिना कारण औषधि लेना या चिकित्सक को दिखलाना। १२-जूते, मोजे आदि पहनना । १३ -दीपक आदि जलाना। २४ –जिसके घर ठहरे हैं उस घर का आहार पानी लेना। २५-खाट, पलंग, कुर्सी आदि किसी भी बुने हुए आसन पर बैठना। २६-रोग, तपस्या या वृद्धावस्था के अतिरिक्त कारण से गृहस्थ के यहाँ बैठना। २७ --शरीर पर पीठी मलना। २८-स्वयं गृहस्थ की सेवा करना या गृहस्थ से सेवा करवाना । २९ ---गृहस्थ से जातीय सम्बन्ध जोड़कर आहार लेना। ३०-गर्म पानी जिस बर्तन में किया जाय वह ऊपर तक गर्म न हो फिर भी पानी लेना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525005
Book TitleSramana 1991 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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