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________________ ( ४५ ) ९, चर्या परीषह - पद यात्रा में कष्ट होने पर भी नियम के __विरुद्ध नहीं ठहरना। १०. निषधा परीषह - स्वाध्याय के लिये विषम भूमि हो तो खेद नहीं करना। ११. शय्या परीषह -विषम भूमि व तृण आदि न हो तो शून्य गृह में ठहरना। १२. आक्रोश परीषह - दुष्टों द्वारा प्रताड़ित करने पर सहन शीलता रखना। १३. वध परीषह - यदि मुनि को कोई लकड़ी आदि से मारे तो भी समभाव रखना। १४. याचना परीषह - भिक्षावृत्ति से कभी-कभी सम्मान को चोट पहुँचती है, तो भी साधु मर्यादा का पालन करें। १५. अलाभ परीषह - वस्त्र-भोजन पर्याप्त मात्रा में प्राप्त नहीं होने पर भी सहनशीलता से उस कष्ट को सहन करें। १६. रोग परीषह - शरीर में रोग होने पर आवश्यक चिकि त्सा नहीं मिलने तक शांतचित्त रहना। १७. तृण परीषह -- सोते व चलते समय तृण, कांटा आदि चुभने से वेदना को समभाव से सहन करना। १८. मल परीषह - वस्त्र व शरीर पर दूर तक चलने से गंदा हो जाने पर भी हीन भाव नहीं रखना चाहिए। १९. सत्कार परीषह - जनता द्वारा सम्मान होने पर प्रसन्नता का अनुभव नहीं करना । २०. प्रज्ञा परीषह - ज्ञान का अभिमान न करना। बुद्धिमान होने पर वाद-विवाद हो तो खिन्न नहीं हो कि ऐसे से तो अज्ञानी ही अच्छा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525005
Book TitleSramana 1991 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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