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________________ ( २६ ) विभिन्न आभूषणों से युक्त बायीं भुजा को लम्बवत् फैलाया । उस भुजा से एकसौ आठ देवकुमारियाँ निकलीं, जो अत्यन्त रूपवती, स्वर्णिम वस्त्रों से सुसज्जित तथा नृत्य के लिए तत्पर थीं । तत्पश्चात् सूर्याभदेव ने एक सौ आठ शंखों और एक सौ आठ शंखवादकों की, एक सौ आठ श्रृंगों-रणसिंगों और उनके एक सौ आठ वादकों की, एक सौ शंखिकाओं और उनके एक सौ आठ वादकों आदि उनसठ वाद्यों और उनके वादकों की विकुर्वणा की । इसके बाद सूर्याभदेव ने उन देवकुमारों और देवकुमारियों को बुलाया । वे हर्षित हो उसके पास आये और वन्दनकर विनयपूर्वक निवेदन किया - हे देवानुप्रिय ! हमें जो करना है उसकी आज्ञा दीजिए। तब सूर्याभदेव ने उनसे कहा - हे देवानुप्रियों । तुम सब भगवान् महावीर के पास जाओ, उनकी प्रदक्षिणा करो, उन्हें वन्दन - नमस्कार करो और फिर गौतमादि निर्ग्रन्थों के समक्ष बत्तीस प्रकार की दिव्य नाट्यविधि प्रदर्शित करो तथा नाट्यविधि प्रदर्शन कर शीघ्र ही मेरी आज्ञा मुझे वापस करो। तदनन्तर सभी देवकुमारों एवं देवकुमारियों ने सूर्याभदेव की आज्ञा को स्वीकार किया और भगवान् महावीर के पास गये । भगवान् महावीर को प्रणाम कर गौतमादि निर्ग्रन्थों के पास आये । वे सभी देवकुमार और देवकुमारियाँ पंक्तिबद्ध हो एक साथ मिले । मिलकर सभी एक साथ झुके, फिर एक साथ ही अपने मस्तक को ऊपर कर सीधे खड़े हुए। इसी क्रम में तीन बार झुककर सीधे खड़े हुए और फिर एक साथ अलग-अलग फैल गये । यथायोग्य उपकरणों वाद्यों को लेकर एक साथ बजाने लगे, गाने लगे और नृत्य करने लगे । उन्होंने गाने को पहले मन्द स्वर से फिर अपेक्षाकृत उच्च स्वर से और फिर उच्चतर स्वर से गाया । इस तरह उनका वह त्रिस्थान गान त्रिसमय रेचक से रचित था । गुंजारव से युक्त था । रागयुक्त था । त्रिस्थानकरण से शुद्ध था । गूंजती वंशी और वीणा के स्वरों से मिला हुआ था । करतल, ताल, लय आदि से मिला हुआ था । मधुर था । सरस था । सलिल तथा मनोहर था । मृदुल पादसंचारों से युक्त था। सुननेवालों को प्रीतिदायक था। शोभन समाप्ति से युक्त था । इस मधुर संगीत गान के साथ-साथ वादक अपने-अपने वाद्यों को भी बजा रहे थे । इस प्रकार वह दिव्य 1 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525005
Book TitleSramana 1991 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size5 MB
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