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________________ ( ६९ ) वि०सं० १२२१ का है और दूसरा मितिविहीन है। दूसरे अभिलेख में लक्ष्मट और मुनिचन्द का उल्लेख है। राजस्थान में बिजोलिया नामक ग्राम से प्राप्त वि०सं० १२२२ के एक अभिलेख', जो दिगम्बर आम्नाय से सम्बन्धित है, में मुनिचन्द्र और उसके भतीजे लोलक की वंशावली दी गयी है और लोलक द्वारा वि०सं० १२२२ में जिनालय निर्माण कराने का उल्लेख है । लोलक के चाचा मुनिचन्द्र को उससे कम से कम २० वर्ष पहले रखा जा सकता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि वि०सं० १२०० के लगभग फलोधी स्थित पार्श्वनाथ जिनालय में मुनिचन्द्र ने उत्तानपट (फर्श) का निर्माण कराया होगा। __ इस प्रकार फलोधी पार्श्वनाथ जिनालय से प्राप्त मितिविहीन अभिलेख का समय वि० सं० १२०० के लगभग माना जा सकता है। लक्ष्मट, मनिचन्द्र और उसका भतीजा लोलक दिगम्बर आम्नाय से सम्बन्धित थे और इनके द्वारा फलोधी पार्श्वनाथ के श्वेताम्बर चैत्यालय में "उत्तानपट" का निर्माण कराया गया। इस विवरण से दो संभावनायें प्रकट होती हैं १-इस चैत्यालय को वि०सं० १२०० के लगभग दिगम्बरों ने अपने अधिकार में ले लिया हो ! अथवा २-दिगम्बर श्रावक मुनिचन्द्र ने धार्मिक सद्भावनावश इस श्वेताम्बर जिनालय में उत्तानपट का निर्माण कराया हो। जहाँ तक शहाबुद्दीन गोरी के आक्रमण का प्रश्न है, यह सत्य है कि उसने वि० सं० १२३५ ई० सन् ११७८ में गुजरात पर आक्रमण किया था। उस समय वहाँ मूलराज 'द्वितीय' (ई० सन् ११७६११७८ ) का शासन था । चौलुक्यों ने आबू के पास काशहद में गोरी को रोका और उसे परास्त कर वापस लौटने को विवश कर दिया। गोरी के गुजरात पर आक्रमण करने का मार्ग फलौधी होकर १. जोहरापुरकर, विद्याधर-जनशिलालेखसंग्रह, भाग ४, लेखाङ्क २६५ २. पाठक, विशुद्धानन्द-उत्तर भारत का राजनैतिक इतिहास,पृ० ४८२ ३. वही, पृ. ४८२ और ५४३ ४. हबीबुल्ला–फाउण्डेशन ऑफ मुसलिमरूल इन इंडिया पृ. ५३; - पाठक, पूर्वोक्त, पृ० ५४३-४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525003
Book TitleSramana 1990 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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