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________________ ( २९ ) नीति के असफल होने पर माकार नीति चली, १ अर्थात् यह मत करो ऐसी निषेधाज्ञा का प्रवर्तन हुआ । पाँचवें, छठें और सातवें कुलकर के समय माकार नीति के असफल होने पर, धिक्कार नीति का प्रादुर्भाव हुआ । अन्तिम कुलकर नाभि के पुत्र श्री ऋषभदेव हुए ये प्रथम वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्री थे । उन्होंने समाज की रचना की। खाद्य समस्या का कृषि द्वारा समाधान किया, कलाओं का प्रवर्तन किया । यौगलिकों की प्रार्थना से नाभि ने राष्ट्र को सुव्यवस्था हेतु श्री ऋषभदेव को 'राजा' घोषित किया। ये सर्वप्रथम राजा हुए और शेष जनता प्रजा हुई। उन्होंने राज्य को सुरक्षा के लिए मंत्रिमण्डल बनाया । नागरिक जीवन की व्यवस्था के लिए आरक्षक दल की स्थापना की ।" राज्यशक्ति की अभिवृद्धि एवं संरक्षणार्थ चतुरंग सेना व सेनापतियों की व्यवस्था की । साम, दाम, दण्ड और भेदनीति का प्रचलन किया । परिमाण ( कुछ समय के लिए आक्रोशपूर्ण शब्दों १. स्थानाङ्गसूत्रबृत्ति - पृ० ३९९ । २. वही ३. नाभिस्त्वजनयत्पुत्रं ममदेयां महाछतिः । ऋषभं पार्थिवश्रेष्ठं सर्वक्षत्रस्य पूर्वजम् ॥ 1 -- वायुमहापुराण - पूर्वार्ध ५०, अ. ३३ ४. उसयेइ वा पढम राया । - - कल्पसूत्र सू० १९४, पृ० ५७ तथा देखिए ॐ कार इव मंत्राणां नृपाणां प्रथमो नृपः । अपत्यानि निजानीव, पालयामास स प्रजाः ॥ Jain Education International - त्रिषष्ठिशलाकापुरुष १ । २ । ९२५ ५. आवश्यकनिर्युक्ति गाथा १९८ ६. त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र १।२।९२५ ९३२ ७. स्वामी सामदामभेददण्डोपायचतुष्टयम् । जगद्वयवस्था नगरीचतुष्पथमकल्पयत् 11 - त्रिषष्ठिशलाकापुरुष १।२।९५९ तथा देखिए- गीतिओ-उसभसामिम्मि चैव उप्पन्नाओ । - आवश्यकचूर्ण, पृ० १५६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525003
Book TitleSramana 1990 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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