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________________ ( १३ ) हेमचन्द्र, मणिभद्र, मल्लिसेन और जिनप्रभ तो दिगम्बर परम्परा में विद्यानन्दी, शाकटायन, प्रभाचन्द्र जैसे समर्थ विचारक भी इसी काल के हैं । मंत्र-तंत्र के साथ चिकित्सा के क्षेत्र में भी जैन आचार्य आगे आये । इस युग के भट्टारकों और जैन यतियों ने साहित्य एवं कलात्मक मन्दिरों का निर्माण तो किया ही साथ ही चिकित्सा के माध्यम से जनसेवा के क्षेत्र में भी वे पीछे नहीं रहे। सुधारवादी आन्दोलन एवं अमूर्तिपूजक सम्प्रदायों का आविर्भाव : __ जैन परम्परा में एक परिवर्तन की लहर पुनः सोलहवीं शताब्दी में आयी, जब अध्यात्मप्रधान जैन धर्म का शुद्ध कर्मकाण्ड घोर आडम्बर के आवरण में धूमिल हो रहा था और मुस्लिम शासकों के मूर्तिभंजक स्वरूप से मूर्तिपूजा के प्रति आस्थाएँ विचलित हो रही थीं, तभी मुस्लिमों की आडम्बररहित सहज धर्म साधना ने हिन्दुओं की भाँति जैनों को भी प्रभावित किया। हिन्दू धर्म में अनेक निर्गुण व्रतमार्गी सन्तों के आविर्भाव के समान ही जैन धर्म में भी ऐसे सन्तों का आविर्भाव हुआ, जिन्होंने धर्म के नाम पर कर्मकाण्ड और आडम्बरयुक्त पूजा-पद्धति का विरोध किया। फलतः जैन धर्म की श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों ही शाखाओं में सुधारवादी आन्दोलन का प्रादुर्भाव हुआ। इनमें श्वेताम्बर परम्परा में लोकाशाह और दिगम्बर परम्परा में सन्त तरणतारण तथा बनारसीदास प्रमुख थे। यद्यपि बनारसीदास जन्मना श्वेताम्बर परम्परा के थे, किन्तु उनका सुधारवादी आन्दोलन दिगम्बर परम्परा से सम्बन्धित था। लोकाशाह ने श्वेताम्बर परम्परा में मूर्तिपूजा तथा धार्मिक कर्मकाण्ड और आडम्बरों का विरोध किया। इनकी परम्परा आगे चलकर लोकागच्छ के नाम से प्रसिद्ध हुई। इसी से आगे चलकर सत्रहवीं शताब्दी में श्वेताम्बर में स्थानकवासी परम्परा विकसित हुई, जिसका पुनः एक विभाजन १८वीं शती में शुद्ध निवृत्तमार्गी जीवनदृष्टि एवं अहिंसा की निषेधात्मक व्याख्या के आधार पर श्वेताम्बर तेरापंथ के रूप में हुआ। दिगम्बर पर पराओं में बनारसीदास ने भट्टारक परम्परा के विरुद्ध अपनी आवाज बुलन्द की और सचित्त द्रव्यों से जिन-प्रतिमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525003
Book TitleSramana 1990 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1990
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size4 MB
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