SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 64 जैनविद्या - 22-23 वाद्य से आवृत शान्ति के लिए मंत्र से मंत्रित करके जौ और सरसों चारों ओर क्षेपण करे (मंत्र - ओं हूं यूं फट् किरिटि घातय घातय पर विघ्नान् स्फोटय स्फोटय सहस्रखंडान् कुरु कुरु परमुद्रांश्छिंद छिंद परमंत्रान् भिंद भिंद क्षः क्षः हूं फट स्वाहा।) यह मंत्र पढ़े। इसके पश्चात् सरोवर को अर्घ देकर उसके किनारे आह्वनादि विधि से जलदेवता का आह्वानन करे । पश्चात् घड़ों को जल से भरकर उनके मुख में श्री आदि देवियों की स्थापना कर उन्हीं कुलीन स्त्रियों को दे दे। वे उन्हें लाकर जिन मन्दिर में स्थापित करें। अथेंद्रो दिव्यवस्त्रस्रग्भूषागोशीर्ष संस्कृतः। प्रतींद्रदातृयुग्धुर्यं गजं वाश्वमधिकितः॥ 1.157 ॥ सत्पल्लवच्छन्नम खान दू वा दध्यक्षता चितान । फलगर्भानवान कुंभान् दृढान् कंठलुठत्स्रजः ॥ 1.158॥ विभ्रतीभिः सुवेशाभिः सहर्षाभिः पुरंधिभिः। सर्वसंघेन च वृत्तश्छत्रतौर्यत्रिकध्वजैः ॥ 1.159॥ विश्वं विस्मापयन शांत्यै सर्वतो यवसर्षपान्। मंत्राभ्यस्तान् किरन गत्वा प्रतिष्ठा प्राग्दिने सरः॥ 1.160॥ तस्मै दत्तार्धमाधाय तत्तीरे वास्तुवद्विधिम्। आह्वाननादि विधिना प्रसाद्य जलदेवताम् ॥ 1.161॥ पुरयित्वा जलैरास्य स्थापितश्यादिदेवतान्। ताभिरेव पुरंधीभिर्महाभूत्या तथैव तान् ॥ 1.162 ॥ कंभानानाय्य संस्थाप्य चैत्यगेहे सुरक्षितान्। तथैवोत्तरकृत्याय दातृमंदिरमाश्रयेत् ॥.1.163 ॥ इसमें सरोवर को और वास्तुदेव को अर्घ्य चढ़ाकर, वायुकुमार देवों का आह्वानन कर भूमि स्वच्छ की जाती है तथा मेघकुमार देवों का आह्वानन कर भूमि का सिंचन कर उसे शुद्ध किया जाता है। सरोवर को अर्घ्य देते समय निम्न श्लोक तथा निम्न मंत्र पढ़ें - यत्पद्माभृतलंभनात्सुमनसां मान्योसि दिक् चक्र मत् कल्लोलोसि सदा यदाश्रितवतां संतापहंतासि यत्। लोके यद्यपि तावतैव वदसे क्षीरोदवत्त्वं जिनस्नानीयेन तथापि तद्वदुदकेनार्कोसिकासार नः ॥ 2.3॥ ओं ह्रीं पद्माकरायायँ निर्वपामीति स्वाहा।
SR No.524768
Book TitleJain Vidya 22 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year2001
Total Pages146
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy