SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 76 जैनविद्या - 20-21 1. विशेष जानकारी के लिए सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द्र शास्त्री की सर्वार्थसिद्धि की प्रस्तावना देखिए। 2. न्यायकुमुदचन्द्र, प्र. भाग, पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री द्वारा लिखित प्रस्तावना, पृष्ठ 43 3. तत्त्वार्थवार्तिक 1.1.18 4. वही, 1.1.12 5. वही, 1.1.13 6. वही, 1.1.14 7. वही, 1.1.15 8. वही, 1.1.16 9. वही, 1.1.44 10. वही, 1.6.14 11. वही, 1.10.8-9 12. वही, 1.32.4 13. केचित्तावदाहुः ज्ञानादेव मोक्ष इति। वही, मंगलाचरण, 6 14. वही, 1.1.45 15. वही, 1.1.49 16. वही, 5.18.12 17. वही, 5.26.17 18. वही, 7.22.10 19. वही, 7.39.9 20. वही, 5.22.9 21. अपर आह : क्रियात एवं मोक्ष इति । तत्त्वार्थवार्तिक 1.1.5 22. सत्सम्प्रयोगे पुरुषष्येन्द्रियाणं बुद्धिजन्मतत्प्रत्यक्षं । वही, 1.1.5; मी. द. 1.12.4 23. तत्त्वार्थवार्तिक 1.12.5 24. अपूर्वाख्यो धर्मः क्रियया अभिव्यक्तः सन्नमूर्तोऽपि पुरुषस्योपकारी वर्तते तथा धर्माधर्मयोरपि गतिस्थित्युपग्रहोऽवसेयः। वही, 5.17.41 25. तत्त्वार्थवार्तिक 5.24.5 26. वही, 1.1.8 . 27. वही, 1.1.8 28. इतरे ब्रुवते-प्रकृतिपुरुषयोरनन्तत्वं सर्वगतत्वादिति। वही, 5.9.4 29. तत्त्वार्थवार्तिक 5.17.23 30. वही, 5.17.41 31. वही, 5.18.1 32. वही, 6.10.11 33. वही, 6.27.6 34. वही, 1.1.6 35. वही, 1.2.24 36. वही, 8.1.13
SR No.524767
Book TitleJain Vidya 20 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1999
Total Pages124
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy