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जैनविद्या 18
केवल दूषण के अन्वेषकों ने जिस कुसृति-कुमार्ग का निर्माण किया वह स्याद्वाद-शासन की दृष्टि से असमीचीन है और स्वयं इन्होंने निर्भेद (फटने) के भय से अनभिज्ञ और दर्शन मोह से आक्रान्त चिन्तक की भाँति परघाती कुल्हाड़े को अपने ही मस्तक पर मारा है। मूल श्लोक इस प्रकार है -
निशायितस्तैः परशुःपरघ्नः . स्वमूर्ध्नि निर्भेद-भया ऽनभिज्ञेः। वैतण्डिकैर्यै:कुसृति: प्रणीता
मुने ! भवच्छासन - दृक्प्रमूरैः ॥ 58॥ आचार्य समन्तभद्र के वीरस्तुति-रूप युक्त्यनुशासन' की अन्तर्वस्तु का निष्कर्ष इस प्रकार है -
प्रभुच्यते च प्रतिपक्षदूषीजिन ! त्वदीयैःपटुसिंहनादैः। एकस्य नानात्मतया ज्ञ-वृत्ते -
स्तौ बन्धमोक्षौ स्वमतादबाह्यो। 52 ॥ वीर भगवान अनेकान्तवादी हैं। उनकी एकाऽनेकरूपता, निश्चयात्मक तथा सिंह-गर्जना की तरह अबाध एवं युक्तिशास्त्र के अविरुद्ध आगमन वाक्यों के उपयोग द्वारा वस्तुतत्त्व के प्रति विवेक उत्पन्न-कर अतत्त्व-रूप एकान्त के आग्रह से मुक्ति प्रदान करती है। नानात्मक वस्तु का नानात्मक रूप से निश्चय या प्रत्यय ही सर्वथा एकान्त का प्रमोचन है। ऐसी स्थिति में ही अनेकान्तवादी का एकान्तवादी से कोई द्वेष नहीं हो सकता। स्वपक्ष अर्थात् अनेकान्त की स्वीकृति से प्रतिपक्ष, अर्थात् एकान्त के प्रति सर्वथा आग्रह नहीं रहता। अनन्तात्मक तत्त्व से युक्त बन्ध और मोक्ष अनेकान्त के मत से बाह्य नहीं है, वस्तुत: इन दोनों का सद्भाव उसी अनेकान्त में है, इसीलिए इन्हें ज्ञ-वृत्ति' कहा गया है, अर्थात् इनकी प्रवृत्ति अनेकान्तवादियों द्वारा स्वीकृत ज्ञाता आत्मा में है।
आज के एकान्तवाद के पूर्वाग्रही समाज के लिए आचार्य समन्तभद्र के इस अनेकान्तवाद अर्थात् समतावादी दृष्टिकोण को अपनाना अत्यावश्यक है; क्योंकि बिना अनेकान्तदृष्टि के न्याय-अन्याय की पहचान सम्भव नहीं है। जो सुखमय और समतामूलक जीवन की वस्तुस्थिति या मूलकारण को जानने की इच्छा करते हैं उनके लिए आचार्य समन्तभद्र का वीर-स्तवरूप युक्त्यनुशासन' हितान्वेषण के उपायस्वरूप है। आज समस्त अलोकतान्त्रिक घटनाएँ श्रद्धा और गुणज्ञत्ता के अभाव के कारण ही घटती हैं। अवश्य ही, ‘युक्त्यनुशासन' एक ऐसी महिमामयी शाश्वतिक कृति है जिसमें लोकहित की अनेकान्त-दृष्टि निहित है।
आलेखगत विवेचन का उपजीव्य : श्री जुगलकिशोर मुख्तार युगवीर' द्वारा अनूदित एवं सम्पादित-‘युक्त्यनुशासन'; संस्करण : सन् 1951 ई0 प्रकाशक: वीरसेवा मन्दिर, सरसावा (सहारनपुर)
पी.एन. सिन्हा कॉलोनी, भिखना पहाड़ी, पटना -6