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शब्दानुक्रमणिका
अंजणरहियउ-कालुष्य शून्य, अंजनरहित, बिना कालिमा का । 8 अंतु-छोर, समाप्ति, किनारा, अंतिम भाग । 9 प्रखण्डुपरदेसी-अखण्ड-प्रदेशी। 3 . प्रचेयणु- अचेतन, चैतन्यगुण रहित, निर्जीव । 16 अजीउ-जीव-रहित । 1, 11 प्रणंती-जिसका अन्त नहीं हो, निःसीम । 11 अणंते-अन्त रहित, शाश्वत, निःसीम । 19 अत्थिवत्थुसंजुत्तउ-अस्तित्व वस्तुत्व संयुक्त । 2 अधेरउ-अंधेरा । 15 अनंत-अन्त रहित । 10 अप्पसरूवि-प्रात्मस्वरूपी । 10 अप्पु-पाप, स्वयं, आत्मा । 19 अमूरत्त -अमूर्त । 3 प्रयाणउ-अजान, अज्ञानी। 18 प्रह-और । 1,7 मलखु–अलक्ष्य । 3 अवगाहनि-अवगाहना का। 9 अविभागी-जिसका विभाग न किया जा सके, जो विभक्त न हो सके । 11 प्रहम्मु-अधर्म (द्रव्य)। 12 प्राए-आये ('पाना' क्रिया का भूतकाल) । 17 प्रागइ-पागे । 19 प्रादि-प्रारम्भ, प्रथम । 17 प्रापउ-स्व, निज । 18 प्रापुण-स्व, निज, अपने को। 18 मामलु-आम्ल, खट्टा । 13 प्रास-पाश्रव, जैनधर्म के सात तत्वों में से तीसरा तत्त्व, कर्मों का आना । 18 इबही-अब, आगे । 11 . इसकहु-इसको । 20 इह-इस लोक में, यहाँ । 18