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________________ 90 जनविद्या-12 जीव करम नित मिलते पाए पहलइ47 हो पछइ प्रादि न कीजइ रोसौ48 (रे)। नउ (सोनउ)49 पायर मिलते पाए विणु उपायहि वस्तु न लीजई हो ॥17॥ मापु ण जाणइ जडु रु प्रयाणउ सो इह हो पासउं बंधणु होइ तसु । जारणइ पर परियाणइ सोई हो संवर निज्जर होइ तसो ॥18॥ प्रापउ अप्पसरूवि अप्पु51 लउ लावइ करमनु झाडइ एरड वीज तिम । मुकतिसिरी कहु सो नर पावइ सिद्ध अणते प्रागइ होइ जिउ ॥19॥ जो नर इस62 कहु पढइ पढावइ तिसु कहु दुरिउ न मावइ एकु खिणु । जो नर सप्ततच्च मनु लावइ ___सो नरु हो सिवपुरि पावइ छोडि तणु ॥20॥ 50. विणुर 47. पहिलइ (ख)। 48. रे (ख)। 49. सोनउ (ख)। उपायहि (ख)। 51. अपु (ख)। 52. इसु (ख)।
SR No.524760
Book TitleJain Vidya 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1991
Total Pages114
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size10 MB
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