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________________ जैन विद्या सर्वस्य (सर्व) 6 / 1 साह: (साह) 1 / 1 वा ( अ ) = विकल्प से सर्व सव्व (पु., नपुं.), सव्वा (स्त्री) के स्थान पर साह (पु., नपुं.), साहा (स्त्री.) विकल्प से ( होते हैं) । अपभ्रंश में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में सर्व सव्व (पु., नपुं. ) सव्वा (स्त्री) के स्थान पर साह (पु., नपुं.), साहा (स्त्री.) विकल्प से होते हैं । नोट - साह के रूप पुल्लिंग व नपुंसकलिंग में सब्ब की तरह चलेंगे तथा स्त्रीलिंग साहा के रूप सा ( कहा ) की तरह चलेंगे । 38. किम: कांइ-कवणौ वा 77 4/367 किम: ( किम् ) 6 / 1 काई - कवणी [ ( काई ) - ( कवण ) 1 / 2 ] वा (प्र) = विकल्प से (पुल्लिंग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में) किम् क (पु., नपुं.), का (स्त्री.) के स्थान पर काई (पु., नपुं. स्त्री.) और कवण (पु., नपुं.), कवणा (स्त्री.) होते हैं । अपभ्रंश में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में किम् क (पु., नपुं), का (स्त्री.) के स्थान पर काई (पु., नपुं. स्त्री. ) तथा कवण (पु, नपुं), कवणा. (स्त्री.) होते हैं । नोट - काई सभी विभक्तियों व वचनों में काई ही रहता है । 1 कवण के रूप पुल्लिंग व नपुंसकलिंग में सब की तरह चलेंगे तथा स्त्रीलिंग कवणा के रूप सव्वा (कहा ) की तरह चलेंगे । 1. अपभ्रंश भाषा का अध्ययन द्वारा, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, पृष्ठ 180 39. युष्मद सौ तुहुं 4/368 म : ( युष्मद् ) 5 / 1 सौ (सि) 7 / 1 तुहुं ( तुहुं) 1/1 युष्मद् तुम्ह से परे सि होने पर ( दोनों के स्थान पर) तुहुं (होता है) । अपभ्रंश में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग व स्त्रीलिंग में युष्मद् तुम्ह से परे सि होने पर दोनों के स्थान पर तुहुं होता है । तुम्ह (पु., नपुं, स्त्री. ) - ( तुम्ह + सि) = तुहुं । 40. जस् - शसोस्तु म्हे तुम्हइं 4/369 जस् [ ( शसो :) + ( तुम्हे ) ] तुम्हइं [ ( जस्) - (शम्) 7 / 2] तुम्हे ( तुम्हे ) 1 / 1 तुम्हई ( तुम्हई) 1 / 1
SR No.524757
Book TitleJain Vidya 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1988
Total Pages112
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size11 MB
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