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________________ 74 जनविद्या अपभ्रंश में पुल्लिग व नपुंसकलिंग ज से परे तथा स्त्रीलिंग जा से परे सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) तथा प्रम् (द्वितीया एकवचन का प्रत्यय) के होने पर दोनों के स्थान पर ध्रु विकल्प से होता है तथा पुल्लिग व नपुंसकलिंग त से परे तथा स्त्रीलिंग ता से परे सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) तथा अम् (द्वितीया एकवचन का प्रत्यय) के होने पर दोनों के स्थान पर त्रं विकल्प से होता है । ज (पु., नपुं.)-(ज + सि ) = ध्रु (प्रथमा एकवचन) (ज + अम्) = J (द्वितीया एकवचन) त (पु., नपुं.)-(त + सि ) =त्रं (प्रथमा एकवचन) (त + अम्) = त्रं (द्वितीया एकवचन) ता (स्त्री.) -- (जा+सि ) = ध्रु (प्रथमा एकवचन) (जा+अम्) = ध्रु (द्वितीया एकवचन) जा (स्त्री) - (ता+सि ) = त्रं (प्रथमा एकवचन) (ता+ अम्) = त्रं (द्वितीया एकवचन) नोट- हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार ज और जा के स्थान पर जु (प्रथमा एकवचन) __ (द्वितीया एकवचन) त और ता के स्थान पर तं (प्रथमा एकवचन) (द्वितीया एकवचन) 32. इदमः इमुः क्लीबे 4/361 इदमः (इदम्) 5/1 इमुः (इमु 1/1 क्लीबे (क्लीब) 7/1 नपुंसकलिंग में इदम्→इम से परे (सि और प्रम् होने पर) (दोनों के स्थान पर) इमु (होता है)। अपभ्रंश में नपुंसकलिंग में सर्वनाम इम से परे सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) तथा प्रम् (द्वितीया एकवचन का प्रत्यय) होने पर दोनों के स्थान पर इमु होता है । इम (नपुं.)-(इम+सि ) = इमु (प्रथमा एकवचन) (इम+अम्) = इमु (द्वितीया एकवचन) 33. एतदः स्त्री-पुं-क्लीबे एह एहो एहु 4/362. एतदः (एतत्) 5/1 [(स्त्री)-(पुं)-(क्लीब) 7/1] एह (एह) 1/1 एहो (एहो) 1/1 एह (एहु) 1/1
SR No.524757
Book TitleJain Vidya 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1988
Total Pages112
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size11 MB
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