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जनविद्या 29. यत्तत्किभ्यो इसो डासुर्न वा 4/358
यत्तत्किम्यो सो गसुन [(यत्) + (तत) + (किंभ्यः) + (ङसः) + (डासुः) + (न)] वा [(यत्)-(तत्)-(किम्) 5/3] इस: (ङस्) 6/1 डासुः (डासु) 1/1 न वा (अ) = विकल्प से यत्→ज, तत्→त, किम्→क से परे ङस् के स्थान पर डासु→मासु विकल्प से (होता है)। अपभ्रंश में ज, त और क प्रकारान्त पुल्लिग व नपुंसकलिंग सर्वनामों से परे हुस् (षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर मासु विकल्प से होता है। ज (पु., नपुं.) - (ज+ ङस्) = (ज+आसु) = जासु (षष्ठी एकवचन) त (पु., नपुं.) - (त+ ङस्) = (त+पासु) = तासु (षष्ठी एकवचन) क (पु., नपुं) - (क+ ङस्) = (क + प्रासु) = कासु (षष्ठी एकवचन)
नोट-अन्य रूप अकारान्त पुल्लिग व नपुंसकलिंग सर्वनाम सम्व के समान होंगे। 30. स्त्रियां रहे 4/359
स्त्रियां रहे [(स्त्रियाम्) + (डहे)] स्त्रियाम् (स्त्री) 7/1 उहे (डहे) 1/1 स्त्रीलिंग में (इस् के स्थान पर) डहे→ प्रहे (विकल्प से) (होता है)। अपभ्रंश में स्त्रीलिंग में जा, ता और का से परे इस् (षष्ठी एकवचन का प्रत्यय) के स्थान पर महे विकल्प से होता है। जा (स्त्री.) - (जा+डस्) = (जा+महे) = जहे (षष्ठी एकवचन) ता (स्त्री.) - (ता+ ङस्) = (ता+अहे) = तहे (षष्ठी एकवचन) का (स्त्री.) - (का+ ङस्) = (का+अहे) = कहे (षष्ठी एकवचन)
नोट-अन्य रूप आकारान्त स्त्रीलिंग सर्वनाम सध्या के समान होंगे। 31. यत्सवः स्यमोवु 4/360
यत्तदः [(यत्) + (तदः)] स्यमोप॑ [(सि) + (अमोः) + ( ) त्रं [(यत्)-(तत्) 5/1] [(सि)-(अम्) 7/2] @ (ध्रु) 1/1 त्रं (त्र) 1/1 यत्→ज से परे सि और प्रम् होने पर (दोनों के स्थान पर) ध्रु (विकल्प से) (होता है) तथा तत→त से परे सि और अम् होने पर (दोनों के स्थान पर) त्रं (विकल्प से) (होता है)।