SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनविद्या 4/330 से सम्वाहां (पंचमी एकवचन) 4/355 4/330 इयर (दूसरा) (पु., नपुं.) - इयरहां इयराहां (पंचमी एकवचन) मन्न (दूसरा (पु., नपुं.) - अन्नहां अन्नाहां (पंचमी एकवचन) पुष्य (पहला) (पु., नपुं.) - पुव्वहां पुव्वाहां (पंचमी एकवचन) स (अपना) (पु., नपुं.) – सहां साहां (पंचमी एकवचन) त (वह) (पु., नपुं.) - तहां ताहां (पंचमी एकवचन) ज (जो) (पु., नपुं.) - जहां जाहां (पंचमी एकवचन) क (कोन, क्या) (पु., नपुं.) - कहां काहां (पंचमी एकवचन) एक्क (पु., नपुं.) - एक्कहां एक्काहां (पंचमी एकवचन) 27. किमो डिहे वा 4/356 किमो डिहे [(किमः)+ (डिहे)] वा किमः (किम्) 5/1 रिहे (डिहे) 1/1 वा (प्र) = विकल्प से किम्→क से परे (सि के स्थान पर) डिहे, इहे विकल्प से (होता है)। अपभ्रंश में पुल्लिग व नपुंसकलिंग अकारान्त सर्वनाम क से परे सि (पंचमी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर इहे विकल्प से होता है । क (पु., नपुं.)-(क+सि) = (क+ इहे) = किहे (पंचमी एकवचन) 28. हिं 4/357 हिं[ (डे:)+ (हिं)] के (ङि)6/1 हिं(हिं) 1/1 (सर्व→ सन्य प्रादि से परे) डि के स्थान पर हिं (होता है)। अपभ्रंश में सम्य प्रादि अकारान्त पुल्लिग व नपुंसकलिंग सर्वनामों से परे कि (सप्तमी एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर हिं होता है । सम्व (पु., नपुं.)-(सव्व+ङि) = (सव्व+हिं) = सव्वहिं (सप्तमी एकवचन), (4/330 से सव्वाहि (सप्तमी एकवचन) 4/357 4/330 इयर (दूसरा) (पु., नपुं.) - इयरहिं इयराहिं (सप्तमी एकवचन) अन्न (दूसरा) (पु., नपुं.) - अन्नहिं अन्नाहिं . (सप्तमी एकवचन) पुव (पहला) (पु., नपुं.) - पुवहिं पुव्वाहिं (सप्तमी एकवचन) नपुं.) - एक्कहिं एक्काहिं (सप्तमी एकवचन) (पु., नपुं.) - तहिं ताहिं (सप्तमी एकवचन) (पु., नपुं.) - जहिं जाहिं (सप्तमी एकवचन) (पु., नपुं.) - कहि काहिं (सप्तमी एकवचन)
SR No.524757
Book TitleJain Vidya 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1988
Total Pages112
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy