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जैविधा महु (नपुं.)-(महु+प्राम्) = (महु + हु, हं) = महुई और महहं
(षष्ठी बहुवचन) नोट-हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार यह कहा गया हैइकारान्त और उकारान्त पुल्लिग और नपुंसकलिंग शब्दों से परे सुप् (सप्तमी बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर 'हु' भी होता है । हरि (पु.)-(हरि+सुप्)=(हरि+हुं)=हरिहं इसी प्रकार गामणीहुं, वारिहं, साहुहं, सयंमूह तथा महुई
(सप्तमी बहुवचन) 11 इसि-भ्यस्-डोना है-हुं-हयः 4/341
सि-म्यस्-(डीनाम्) + (हे)]-हुं-हयः सि-भ्यस्-डीनाम् [(ङसि)-(म्यस्)-(ङि) 6/3] । हे-हुं-हयः [(हे)-इं)-(हि) 1/3] (इकारान्त मोर उकारान्त से परे) सि, भ्यस, मोर जि के स्थान पर क्रमशः हे, हुं और हि (होता है)। इकारान्त मौर उकारान्त पुल्लिग पोर नपुंसकलिंग शब्दों से परे हसि (पंचमी एक वचन के प्रत्यय), भ्यस् (पंचमी बहुवचन के प्रत्यय) और कि (सप्तमी एकवचन के प्रत्यय), के स्थान पर क्रमशः हे, हुं और हि होता है। हरि (पु.) (हरि+कसि)=(हरि+हे)=हरिहे (पंचमी एकवचन) गामणी (पु.) और वारि (नपुं.) के =गामीणोहे और वारिहे
__(पंचमी एकवचम) साहु (पु.), सयंभू (पु) और महु (नपुं) के साहुहे, सयंमूहे और महहे
(पंचमी एकवचन) हरि (पुं)-(हरि+भ्यस्) + (हरि+हुं) =हरिहुं (पंचमी बहुवचम) गामणी (पु.) और वारि (नपुं.) के गामणीहुं और वारिहूं
(पंचमी बहुवचन) साहु (पु.), सयंमू (पु.) और महु (नपुं.) के साहुहूं, सयंमूहं और महुहुँ
__(पंचमी बहुवचन) हरि (पु.)-(हरि+ (डि)=(हरि+हि)=हरिहि (सप्तमी एकवचन) गामणी (पु.) पौर वारि (नपुं) के =गामणीहि और वारिहि
(सप्तमी एकवचन) साहु (पु.), सयंभू (पु.) और महु के साहुहि, सयंभूहि और महुहि
(सप्तमी एकवचन) 12. पाट्टो गानुस्वारौ 4/342
माटो गानुस्वारी [(मात्)+(ट)+(ण)+(मनुस्वारी)] ... मात् (म) 5/1 2: (टा) 6/1 [(ण)-(मनुस्वार) 1/2]