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जनविद्या
वर्णन किया गया है । प्राशा है पाठकों के लिए रचना सुरुचिपूर्ण एवं मनोरंजक होने के साथसाथ पर्याप्त शिक्षाप्रद भी होगी।
पत्रिका का आगामी अंक करकण्डचरिउ के कर्ता मुनि कनकामर एवं सुदंसणचरिउ तथा सयल-विहि-विहाण के रचनाकार मुनि नयनंदि पर संयुक्त रूप से प्रकाशित होगा।
___ संस्थान समिति, सम्पादक मण्डल के सदस्यों तथा अपने सहयोगी कार्यकर्ताओं एवं इस अंक के लिए जिन विद्वानों ने अपनी रचनाएं भेजी हैं उन सभी के प्रति हम आभारी हैं । कलापूर्ण मुद्रण के लिए मुद्रकों के प्रति भी कृतज्ञ हैं।
(प्रो०) प्रवीणचन्द्र जैन
सम्पादक