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________________ जैन विद्या रिखिसिरि । द्वितीय भार्या लाडमदे । तत्पुत्र- जिरणदास । द्वितीय पुत्र पं० मनोरथ भार्या मनसिरि । तत्पुत्र पं. देवा । तृतीय पुत्र पं. चौखा । भार्या चोखसिरि । तत्पुत्र प्रथम सुमतिदास द्वितीय ईसरदास एतेषां मध्ये पंडित धर्मदास त० भार्या धर्मश्री तया लिखाप्य भविष्यदत्त पंचमी । श्राचार्य श्री माघनंदिने दत्ता कर्मक्षयनिमित्तं । शुभं भवतु ॥ 108 5. वेष्टन सं० 753 / पत्र सं0 - 197 / लिपिस्थान - मोजाबाद । साइज - 11"X4" 1 संवत् 1595 माघ मासे शुक्लपक्षे तिथि 15 रविवासरे नक्षत्र अश्लेषा राजाधिराज कछवाहा करमचंद मोजाबाद मध्ये ॥ लिख्यतं रामदास || 11 श्री मूलसंघे नंद्याम्नाये बलात्कारगणे सरस्वती गच्छे श्री कुंदकुंदाचार्यान्वये भट्टार श्री पद्मनंदिदेवास्तत्पट्टे भट्टारक श्री शुभचन्द्रदेवास्तत्पट्टे भट्टारक श्री जिनचंद्र देवास्तत्पट्टे भट्टारक श्री प्रभाचंद्र देवास्तत्सिष्य मंडलाचार्य श्री धर्मचन्द्र देवास्तदाम्नाये खंडेलवालान्वये पाटणी गोत्रे सांगानयरि वास्तव्ये साह हेमा भार्या केलू पुत्राः त्रयः प्रथम साह सरवरण भार्या लाडी तयोः पुत्रा साह डालू भार्या ऊदी तयोः पुत्र राणौ द्वितीय रामदास द्वितीय गोद भार्या गौरी तृतीय टेहू भार्या टेहूसिरि द्वितीय साह हीरा भार्या त्यपरू तयोः पुत्रा : त्रयः प्रथम दुर्गा द्वितीय परवंत तृती गोना । डूगर भार्या धरमा पुत्रौ द्वौ प्र० सा० चाचा द्वि० द्योराज परंवत भार्या पूना तयोः पुत्री द्वो प्रथम सोढा । द्वि० छाजू गोना भार्या गंगा तयोः पुत्रः माधव । तृतीय सा० तेजा भार्या दामा । हीरा हीरा नाम्ना इदं शास्त्रं लिखाप्य ज्ञानपात्राय ब्रह्म कोल्हाय दत्तं । भवतु । 6. वेष्टन सं0 754 / पत्र सं० 171 / साइज - 12 " x 5" / प्रति प्राचीन है । 7. वेष्टन सं0 755 / पत्र सं० 115 / साइज - 12 " x 5" । सं० 1540 वर्षे प्रासौज सुदि 12 सनिवासरे घनिष्टा नक्षत्रे लिखितं हेमा शुभं श्री. मूलसंघे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री सकलकीर्ति तत्पट्टे भट्टारक भुवनकीर्ति तत्पट्टे भट्टारक श्री ज्ञान भूषण गुरूपदेशात् मुनि श्री रत्नकीर्ति पठनार्थं खंडेलवाल ज्ञातीय साह लाला भार्या ललता दे सुत सा० वीरम भार्या बीलण म्रातृ परवत भार्या पुहसिरि तत्पुत्राः बलराज नेतु एतैः ज्ञानावरणकर्म्म - क्षयार्थं लेखायित्वा दत्तं ॥ छ ॥ 8. वेष्ठन सं० 756 / पत्र सं0 146 / साइज - 103⁄4”×5”।
SR No.524754
Book TitleJain Vidya 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1986
Total Pages150
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size13 MB
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