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जनविद्या
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दुष्कर्म
मयूरपंख पंचरंगी मणिमाला
(जस. 2.30) इन्द्रधनुष तोरण
(जस. 2.30) कचड़ा
(जस. 3.24) कुत्तों की पूंछ पापिष्ठ के चित्र
(जस. 3.35) घास के पूले कुकवियों की कवितायें
(जस. 1.3) पुष्पित वन कामिनियों का नवयौवन
(जस. 1.3) परिखा जल परिधान
(णाय. 1.7) प्राकार प्रोढ़ा हुआ चीर
(णाय. 1.7) कुंकुम रति की रंगभूमि
(णाय. 1.7) रंगावलियां हारपंक्ति
(साय. 1.7) नारी गति हंस गति
(णाय. 1.7) गज गति
(णाय. 3.5) भस्त्रा (धौंकनी) ... सांसे भरना
(णाय. 2.10) द्यूत फलक गगन प्रांगन
(णाय. 3.12) पांसा चन्द्रमा
(णाय. 3.12.) कौंडिया नक्षत्र
(णाय. 3.12) अभद्र तुरंग
दुर्जन, कर्ण, यम, लक्ष्मण (णाय. 3.14) व्यंजनसहित भोजन विपुल गहन वन
(णाय. 6.9) नाटक
. (णाय. 6.9) घृत निर्मित पकवान स्नेहसिक्त मिथुन
--- (णाय. 6.9) स्वादयुक्त भोजन आयुबंधयुक्त गति कर्म - - (णाय. 6.9) उचित प्रमाण छन्द मात्रा नियमित काव्य (णाय. 6 9) व्यंजन का प्राधिक्य व्याकरण जो व्यंजन पर .. .. : अधिक विचार करे
(णाय. 6.9) शुद्ध दूध
व्याकरण जो सुबन्त आदि .... पर विचार करे -
(णाय. 6.9) रोगनाशक भोजन गज विनाशक सिंह
(णाय. 6.9) मुंडित दासियां
(णाय. 7.1) सत्पुरुष वट-वृक्ष
(णाय. 8.9) जिनेन्द्र
विष्णु, हर, सूर्य, ब्रह्मा, अग्नि (णाय. 8.10) मंगल-कलश यज्ञोपवीतयुक्त ब्राह्मण
(णाय. 9.12) कलश-धारा
(णाय. 8.10) सिर पर रखा कलश शिष्यों से घिरा गुरु
(णाय. 8.10) पल्लव ढका कलश कल्पवृक्ष
(णाय. 8.10) कंठयुक्त कलश मधुरकंठी गायक
(णाय. 8.12)
तम्बू
नवमेघ
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