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________________ अंग्रेजी अनुवाद श्री रामस्वरूप सोनी, एम. ए. (अंग्रेजी) बी. एड. द्वारा सम्पन्न किया गया। इसके साथ ही Encyclopaedia of Religion and Ethics में से Hermann Jacobi लिखित Jainism का हिन्दी अनवाद तथा Erich Frauwallner लिखित The System of the Jaina का हिन्दी अनुवाद भी उन्हीं द्वारा सम्पन्न हो चुका है। 2719 3TCIT Farat aqaf fafaa Jainism : its philosophy and Ethics का हिन्दी अनुवाद कार्य चालू है। शिक्षा विभाग ब्राह्मी विद्यापीठ के अन्तर्गत राजस्थान विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम प्रथम वर्ष कला स्नातक कक्षा में 6 छात्राओं का नवीन प्रवेश हुआ, इस प्रकार कुल छात्राओं की संख्या 15 हो चुकी है । पारमार्थिक शिक्षण संस्था की 8 छात्राओं की दीक्षा हो जाने के पश्चात् वर्तमान में 84 संस्था साधि काएं जैन विश्व भारती के जैन विद्या, प्राक् स्नातक, एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का अध्ययन कर रही हैं। कालेज छात्राओं को निर्धारित विषयों के अतिरिक्त सिमाई एवं संगीत शिक्षाओं का अभ्यास क्रम प्रारंभ हो गया है । इन्हें जैन दर्शन एवं ध्यान, योग का प्रशिक्षण भी पहले से दिया जा रहा है। जैन तत्त्व दर्शन का अंग्रेजी भाषा के माध्यम से बोध करवाने हेतु अध्ययन परिषद् (study circle) का प्रारंभ किया गया है । जिसमें विद्यापीठ के शिक्षार्थी एवं व्याख्यातागण आवश्यक रूप से भाग लेते हैं । विश्व भारती के पदाधिकारी भी इससे लाभान्वित होते हैं । परिषद् के प्रमुख प्रवक्ता श्री जेठा भाई जवेरी, उपाध्यक्ष-जैन विश्व भारती हैं । मुनि श्री महेन्द्र कुमार जी के सान्निध्य से जैन दर्शन के सूक्ष्म रहस्यों का स्पष्टीकरण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मिलता है। पर्युषण पर्व के नवान्हिक कार्यक्रमों के सम्पादन-सहयोग हेतु जैन विश्व भारती की ओर से विद्यापीठ के व्याख्याता श्री एन. एल. जैन 'जिज्ञासु' को दो अन्य साथियों के साथ पीपाड़ शहर भिजवाया गया था। उनके ग्रुप की यह यात्रा विश्व भारती के साधना प्रचारप्रसार योजना के अन्तर्गत थी। ____ मुनि श्री नवरत्नमल जी के सान्निध्य में आचार्य श्री तुलसी जन्म दिवस के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में विद्यापीठ की छात्राओं ने रोचक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। जैन विद्या परीक्षा-पाठकों को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि ता. 11-11-78 एव 12-11-78 को जैन विश्व भारती द्वारा आयोजित परीक्षाओं में करीब 6000 परीक्षार्थियों ने भाग लिया। ये परीक्षाएं 98 केन्द्रों में आयोजित की गई । गत वर्ष 2543 परीक्षार्थी प्रविष्ट हुए थे। हमें आशा है कि 1978-79 की परीक्षाओं में भाग लेने वालों की संख्या और भी अधिक होगी। इसका सारा श्रेय विभिन्न स्थानों में विराजित उन चारित्रात्माओं को है जिनकी प्रेरणा से एवं स्थानीय व्यवस्थाओं के प्रयास से यह सफलता मिली है। पत्राचार पाठमाला (जैन धर्म एवं दर्शन हेतु)-समयाभाव से जिन भाई बहिनों खण्ड ४, अंक ३-४ २३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524516
Book TitleTulsi Prajna 1978 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1978
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size5 MB
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