SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ध्यान कर सकते हैं, खड़े होकर कर सकते हैं और | दिन-रात और संध्याकाल आदि काल भी निश्चित नहीं लेटकर भी ध्यान कर सकते हैं। है, अर्थात् ध्यान इच्छानुसार सभी समयों में किया जा आगम में ऐसा भी सुना जाता है कि जिनका शरीर | सकता है। जो मुनि जिस समय, जिस देश में, जिस वज्रमयी है और जो महाशक्तिशाली हैं, ऐसे पुरुष सभी आसन से ध्यान को प्राप्त हो सकता है, उस मुनि के आसनों से विराजमान होकर ध्यान के बल से अविनाशी | ध्यान के लिए वहीं समय, वही देश और वही आसन पद को प्राप्त हुए है। अतः जो उपसर्ग आदि को सहन | उपर्युक्त माना गया है। करने में अतिशय समर्थ है, ऐसे मुनियों के लिए अनेक उपर्युक्त विवेचन गृहस्थों के लिये भी यथायोग्य प्रकार के आसनों को लगाने में दोष नहीं है। लगा लेना चाहिए। ध्यान करने के इच्छक धीर-वीर मुनियों के लिए | १/२०५, प्रोफेसर्स कॉलोनी आगरा-२८२ ००२, उ० प्र० जयपुर (राज.) जिले में शोकलहर बधाई जैन सोश्यल ग्रुप मेट्रो, जयपुर चि० रौनक जैन, सुपुत्र श्री प्रकाशचंद जैन के संस्थापक अध्यक्ष, अखिल भारतवर्षीय | परलापुर (बांसबाड़ा, राज.) को कक्षा १२ वीं विज्ञान दिगम्बर जैन परिषद के प्रदेशमंत्री. | वर्ग (अंग्रेजी माध्यम) में ८८ प्रतिशत अंक प्राप्त हये प्रसिद्ध युवा समाजसेवी एवं जैनसमाज | तथा प्रथम प्रयास में ही आई.आई.टी.-जे.ई.ई. में ६५१वीं की विभिन्न संस्थाओं सहित कई सामाजिक | रेंक प्राप्त हुई। बधाई। एवं धार्मिक संगठनों से सक्रियता से जुड़े हुये विनोद शिवपुरी (म०प्र०) में राष्ट्रीय युवा विद्वत् जैन 'कोटखावदा' के सुपुत्र एवं प्रतिभावान छात्र ऋषभ संगोष्ठी सम्पन्न जैन का सड़क हादसे में मंगलवार २८ अप्रैल २००९ परम पूज्य आध्यात्मिक संत आचार्य श्री १०८ को असामयिक निधन हो गया। निधन की खबर से विशुद्धसागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में धर्म प्रभावना परिवारजनों सहित जयपुर जैन समाज व राजस्थान के जनकल्याण परिषद् के तत्वाधान में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर कई सामाजिक संगठनों में शोक की लहर छा गई। जैन छत्री मंदिर, शिवपुरी में १ मई २००९ को प्रातः छात्र ऋषभ जैन की दोनों आँखें राजस्थान आई | ८ बजे से 'विश्वशांति में युवाओं की भूमिका' विषय बैंक सोसायटी, जयपुर को दान करने का माता-पिता | पर राष्ट्रीय युवा विद्वत् संगोष्ठी का आयोजन किया गया। श्रीमती दीपिका-श्री विनोद जैन 'कोटखावदा' ने इस संगोष्ठी में भारत के विभिन्न प्रांतों के विभिन्न अंचलों कठिन घड़ी में निर्णय लेकर अपने लाड़ले को सदा से ४० (चालीस) विद्वानों ने भाग लिया। के लिए अमर कर दिया। खड़ेरी आवासीय शिविर में बही ज्ञानगंगा जैन सोश्यल ग्रुप सेन्ट्रल संस्था, जयपुर के खड़ेरी (दमोह) परम पूज्य सराकोद्धारक उपाध्याय सहयोग से हुये इस नेत्रदान के निर्णय का सभी ने | श्री १०८ ज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद उपकार माना। से श्रुत-संवर्द्धन-संस्थान मेरठ एवं सकल दिगम्बर जैन ___ऋषभ जैन की पुण्य स्मृति में इन्टरनेशनल जैन | समाज खड़ेरी (दमोह) म.प्र. के तत्त्वाधान में श्री एण्ड वैश्य ऑर्गनाईजेशन, जयपुर की ओर से हर | पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर खड़ेरी में १२ से १९ वर्ष उसकी पुण्य तिथि पर सी.ए. की पढ़ाई में टॉप | मई २००९ तक प्रथम आवासीय श्रुत-संवर्द्धन-ज्ञानकरनेवाले जैन समाज के एक छात्र को ५१००/- रूपये संस्कार-शिक्षण- शिविर भारी उत्साह पूर्वक सम्पन्न की छात्रवृत्ति व शील्ड प्रदान की जावेगी। हुआ। इस आवासीय शिविर में बटियागढ़, शाहगढ़, मनीष बैद | बिनेका, अमरमऊ, धनुआ, गूंगरा, दमोह, नागपुर आदि एस-२१, सरदार भवन, | स्थानों के शिविरार्थियों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। मंगल मार्ग, बापू नगर, जयपुर सुनील जैन "संचय', शिविर संयोजक जुलाई 2009 जिनभाषित 27
SR No.524341
Book TitleJinabhashita 2009 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy