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________________ अभिलाषी हैं। आवश्यकता है किसी की आलोचना न । आचार्य सोमदेव सूरि ने कहा है करके अपने अहिंसात्मक सिद्धान्तों का सरल रूप में वर्णन किया जाय । जनता पर साधुसमाज का प्रभाव पड़ता है । साधु मंगलस्वरूप हैं। आवश्यकता है वर्तमान मुनिसमाज अपने सम्मुख समन्तभद्र, अकलंक और विद्यानंदि जैसे मुनिपुंगवों का आर्दश रक्खें। ऐसे मुनिराज जहाँ पहुँचते हैं, वहीं सुभिक्ष रहता है। मुनियों का यह माहात्म्य हैपद्मिनी राजहंसाश्च, निर्ग्रन्थाश्च तपोधनाः । अतः जैसे बने मुनि धर्म की रक्षा करनी चाहिये । यं देशमुपसर्पन्ति, दुर्भिक्षं तत्र नो भवेत् ॥ | ' णमो लोए सव्व साहूणं' काले कलौ चले चित्ते, देहे चान्नादिकीटके । एतच्चित्रं यदद्यापि, जिनरूपधरा नराः ॥ इस समय कलिकाल है। सभी के चित्त चलायमान रहते हैं। शरीर अन्न का कीड़ा बन गया है। ऐसे विकट समय में नग्न दिगम्बर जिन रूप को धारण करनेवाले पुरुष हैं, यही आश्चर्य है। 'आचार्य महावीरकीर्ति स्मृतिग्रन्थ' से साभार न्यूज पाटनी जी राष्ट्रीय सुरक्षा अवार्ड से पुरस्कृत सर्विस मदनगंज - किशनगगढ़ 6 मई। राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने मंगलवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक विशेष भव्य समारोह में आर. के. मार्बल ग्रुप के चेयरमैन अशोक पाटनी को 'नेशनल सैफ्टी अवार्ड माइन्स - 06' के लब्धप्रतिष्ठ सम्मान से पुरस्कृत किया है। श्री पाटनी को आर. के. मार्बल प्रा. लि. की मोरबड़ मार्बल माइन्स में खनन-सुरक्षा के मापदण्डों की दृष्टि से किए जानेवाले सुरक्षा इन्तजामात एवं न्यूनतम दुर्घटना दर हेतु सर्वोपरि व उत्कृष्ट कार्य परिणाम दिए जाने पर उक्त राष्ट्रीय स्तर के सम्मान से नवाजा गया है। भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से सम्बद्ध खान सुरक्षा महानिदेशालय दिल्ली की उच्च स्तरीय चयन समिति ने देश के विभिन्न भागों का दौरा करके मार्बल प्रसंस्करण व खनन को लेकर कार्य कर रहे व्यापारिक प्रतिष्ठानों के कार्य स्थल का भौतिक सर्वे व मुआयना कर वर्ष 2006 के लिए 'राष्ट्रीय सुरक्षा अवार्ड' (माइन्स) के लिए आर. के. मार्बल का चयन किया था। चयन समिति ने इसके साथ पूर्व में वर्ष 2004 के लिए भी इसी कम्पनी को सर्वोपरि करार दिया है। दोनों ही चयनित वर्षों 2004 व 2006 के तहत आर. के. मार्बल के चेयरमैन अशोक पाटनी को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा राष्ट्रीय स्तर के अवार्ड से पुरस्कृत व सम्मानित किए जाने पर समूचे मार्बल उद्योग व विशेषकर किशनगढ़ मार्बल सिटी में हर्ष की लहर व्याप्त है। 'दैनिक नवज्योति' अजमेर, ७ मई २००८ से साभार 22 जून - जुलाई 2008 जिनभाषित Jain Education International आरोन ( गुना, म.प्र.) में सम्यग्ज्ञान विद्या प्रशिक्षण शिविर का आयोजन परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रभावक शिष्य मुनि श्री अजितसागर जी महाराज एवं ऐलक श्री विवेकानन्द सागर जी महाराज का ग्रीष्मकालीन पावन प्रवास हम आरोन नगरवासियों को मिला इस वर्ष के ग्रीष्म काल मे मुनिश्री के सान्निध्य में एवं निर्देशन में दस दिवसीय सम्यग्ज्ञान विद्या प्रशिक्षण शिविर का आयोजन १५ मई से २५ मई २००८ तक किया गया इसमें जैनसिद्धान्त प्रवेशिका के भाग १, २, ३ एवं द्रव्यसंग्रह, तत्वार्थसूत्र, पूर्वार्द्ध का अध्ययन कराया गया जिसमें ३०० शिविरार्थियों ने भाग लिया इस ग्रीष्मकाल के दौरान ७ मई को अक्षयतृतीया का कार्यक्रम एवं ११ मई २००८ को मुनिश्री जी का १०वॉ मुनिदीक्षा दिवस का भव्य आयोजन हुआ २ जून को शान्तिनाथ भगवान् का निर्वाणमहोत्सव भी मनाया गया इसी तारतम्य में ३ जून को आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज का ३७वाँ समाधि दिवस मनाया था। ८ जून को श्रुतपंचमी के दिन षटखण्डागम ग्रंथराज की भव्य पूजन एवं प्रवचन के साथ मनाया गया। १५ जून रविवार के दिन जैन समाज के प्रतीभाशाली छात्र / छात्राओं का प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया मुनिसंघ के द्वारा ग्रीष्मकाल में प्रातः में प्रश्नोत्तर रत्नमालिका एवं छहढाला का दोपहर में स्वाध्याय कराया गया। शाम को बालसंस्कार शिक्षण का कार्यक्रम मुनिसंघ के द्वारा किया, आरोन नगर में मुनिसंघ के आने से अच्छी धर्मप्रभावना हुई। For Private & Personal Use Only डॉ. दीपक जैन 'ब्रदर' आरोन जिला गुना (म. प्र. ) www.jainelibrary.org
SR No.524329
Book TitleJinabhashita 2008 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size6 MB
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