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________________ झलो रे नित नैनों में बड़े बाबा कुण्डलपुर वारे। | मिटत है भव-भव के दावा, जयति जय वीर बड़े बाबा। पलकन विछाई तोहें पलकियाँ झुलना विरोंनी बारे॥ बात मोरी ---- कार्तिक बीच सबई जुर आवें, सारी रतियन आरति गावें। शिखर पे शिखर, शिखर की शान, सन्मतिमण्डल लाडू चढ़ावत, हो जावे भुन्सारे॥ |इते के कण-कण में भगवान् बीच पहडिया आपो विराजे,शोभा अतिशय मन्दिर साजे। लगत है इतै बड़े नोनो, इतै की माटी है सोनो। माथो झुक झुक जावे सवई को, पोंचें जो भी द्वारे॥ बात मोरी सुन ---- बीच पहड़िया आपो विराजें,शोभा अतिशय मंदिर साजे। भरो है वर्धमान में नीर सुद्ध कर लीजो पैलउं शरीर। माथो झुक झुक जावे सबई को, पोंचें जो भी द्वारे॥ नीर निर्मल मन भाता है, तन का मैल धुले तो धुले। कुण्डलपुर की वन्दना का शुभारंभ 'छहघरिया' | मन का भी धुल जाता है। से होता है। 'छहघरिया' नामक परिवार द्वारा यहाँ के | बात मोरी सुन लइयो --- मंदिर एवं सीढ़ियाँ बनवाये जाने के कारण पहाड़ का फर्क का जैनी और अजैन, दर्शन को लगी रेत है लैन। यह नाम पड गया। 'छहघरिया' (पहाड़ की सीढ़ियाँ) बड़े बाबा के दरवार में अमृत सो बरसै॥ चढ़ गये तो समझों आगे की पूरी वन्दना सहजता से नर-नारी तो ठीक, देवता दर्शन खों तरसें। हो जायेगी, ऐसा सभी लोगों का अनुभव रहता है। इसके बात मोरी सुन लइयो, तनक सी गुन लइयों लिए लोकगीत के बोल इस प्रकार हैं दर्शहित आ जइयो॥ शुद्धि कर लो द्रव्य सजा लो, निंगलो थोरी डगरिया। ___ बुजुर्गों के मुख से सुने गये इस लोकगीत के पेललं चढ़ने है छहघरिया॥ साथ हम अपनी बात पूरी करेंगेमिलके सब जयकारा बोलो, विसरादो सारी खबरिया कुदेवों को छोड़ो, कुगुरुओं को छोड़ो, पेलडं चढ़ने है छहघरिया॥ भजलो. बाबा कुण्डलपुर के। कुण्डलपुर की शान में 'नर-नारी तो ठीक, देवता तर जैहो रे सबरे कुटुम्ब भर के कुशास्त्रों को छोड़ो, कुदेवियों को छोड़ों, दरसन खों तरसें' इस यथार्थ सत्य को उद्घाटित करते चरणों में आओ केवली श्रीधर के। हुए बुंदेली के प्रसिद्ध जैन कवि 'सुन्दरलाल पटेरा' ने तर जैहो रे सबरे कुटुम्ब भर के अपनी कलम को धन्य किया है। बुन्देली पुट लिए हुये धरम का मारग बतावें जिनवाणी यह गीत हर किसी को गुनगुनाने को मजबूर और जिन्होंने | छोड़ो देवता दुनियाभर के। अभी कुण्डलपुर बड़े बाबा के दर्शन न किये हों उनकी | तर जैहो रे सबरे कुटुम्बभर के भावनाओं को मजबूत कर देता है। दर्शनाभिलाषियों के | इस तरह इस आलेख के माध्यम से बुन्देली लिए 'पटेरा' जी का भावभीना निमंत्रण इस गीत के | के कतिपय गीतों को, जिसमें विशेषकर सिद्धक्षेत्र माध्यम से इस प्रकार है कुण्डलपुर एवं बड़े बाबा की महिमा को उद्घाटित अनोखी कुण्डलपुर की शान, विराजें आदिनाथ भगवान्।। किया गया है, संकलित किया है। प्रयास करने पर प्रभु की अद्भुत छाया है, ऐसे ही और भी गीतों का पता लगाया जा सकता कुण्डलपुर में वीर बड़े बाबा का माया है। हैं। बुजुर्गों के पास इन गीतों की निधि स्मृतियों में बात मोरी सुन लइयो, तनक सी गुन लइयो, सुरक्षित हो सकती है। समय रहते इसे संकलित किया दर्शहित आ जइयो। इते सोने को होत प्रभात, चाँदी सी होती रात। जाना अपेक्षित है। अनेकान्तविद्या-भवनम खुदा की अजब खुदाई है, धरती की सुन्दरता इते समाई है बी-23/45, पी-6, शारदानगर कॉलोनी खोजवाँ, वाराणसी-10 बात मोरी ---- इते जो भी दर्शक आ जाय, जपे सो मनवांछित फल पाय।। 24 फरवरी 2008 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524325
Book TitleJinabhashita 2008 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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