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________________ बर्थ डे, वर्ष में एक बार आता है, फिर भी यह पढ़ा-लिखा, मूर्ख समझ नहीं पाता है, यूँही जीवन के कई वर्ष गँवाता है। बर्थ डे, वर्ष में एक बार आता है। अपने ही सगे हाथों से केक काटा जाता है, और मोमबत्ती बुझाता है बर्थ डे इसीलिए जो जन्मदिन मनाता है वह धर्म की दृष्टि में कभी सम्यक्त्व कैसे पाता है? अंत में देव दुर्लभनर जन्म बर्थ डे मनाकर व्यर्थ में गँवाता है बर्थडे, वर्ष में एक बार आता है। हमें बर्थडे मनाकर नव्यर्थ डे मनाना है। हमें तो बस प्रतिदिन वीतराग प्रभुके मंदिर में जाना है और प्रभुकीपूजारचाना है तभी सार्थक नरजन्मपाना है नरात्रि मेंखाना है नहोटल में जाना है। हमें तो सार्थक नरजन्मबनाना है और प्राणजाने पर भी अपने को मदिरापान से बचाना है नअंडा मांसखाना है तभीसार्थक नरजन्मपानाहै यही प्रतिदिन, पहा प्रातदिन, बर्थडे मनाना है......॥ मूर्ख जन्मदिन से ही काटता और बुझाता है इसलिये उसके जीवन में नजोड़ना आता है और नही उजालापाता है बर्थ डे, वर्ष में एक बार आता है। पंचम काल में जो, जीवनरजन्मपाता है, वह साथ में मिथ्यात्व अवश्य लाता है मुनि श्री निर्णयसागर जी संघस्थ-आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज अपर्याप्त दशा तत्त्वदृष्टिवाले व्यक्ति संसार के प्रत्येक प्रदार्थ में, घटना में, तत्त्व का ही दर्शन किया करते हैं। यूँ कहो उसमें से तत्त्व को खोज लिया करते हैं। इसलिए कहा गया है-"सृष्टि नहीं दृष्टि बदलो, जीवन बदल जावेगा।" _ विहार करते हुए नरसिंहपुर की ओर जा रहे थे, रास्ता बहुत खराब था। आचार्य गुरुदेव से कहा- ऐसे रास्ते पर समय बहुत लगता है एवं ऐसी सड़क पर पैर भी छिल जाते हैं, खराब हो जाते हैं। आचार्य महाराज हँसकर कहते हैं- पैर कम दिमाग ज्यादा खराब होता है, यह खराब सड़क अपर्याप्त दशा जैसी है। जिस प्रकार अपर्याप्त दशा में मिश्रकाय योग रहता है, उसमें मिश्र वर्गणायें आती हैं, उसी प्रकार इस रास्ते पर चलने से अलग प्रकार का अनुभव हो रहा है। थोड़ा रुककर बोले- हाँ अपूर्णता का नाम ही अपर्याप्त दशा है, वह यही है, जिसे पार करना है। नरसिंहपुर (28.01.2002) मुनि श्री कुन्थुसागरकृत 'अनुभूत रास्ता' से साभार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524324
Book TitleJinabhashita 2008 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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